'Canada First': PM ट्रूडो का नया गेम प्लान, अब भारतीयों को नहीं कनाडाई नागरिकों को मिलेगी नौकरी
punjabkesari.in Friday, Oct 25, 2024 - 09:13 AM (IST)
नेशनल डेस्क: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक और भारत विरोधी कदम उठाते हुए घोषणा की है कि अगले साल से विदेशी अस्थायी कर्मचारियों की संख्या में कटौती की जाएगी। ट्रूडो ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि अब कनाडाई कंपनियों को कनाडाई नागरिकों को नौकरी में प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने इस कदम को 'कनाडा फर्स्ट' का नाम दिया है। इसके तहत कंपनियों को यह साबित करना होगा कि उन्हें नौकरी के लिए योग्य कनाडाई नागरिक नहीं मिला, तभी वे विदेशी अस्थायी कर्मचारियों को नियुक्त कर सकेंगे।
विदेशी कर्मचारियों पर असर
ट्रूडो के इस फैसले का सबसे अधिक प्रभाव भारतीय छात्रों और अस्थायी कर्मचारियों पर पड़ेगा। 2023 में कनाडा में 1.83 लाख विदेशी अस्थायी कर्मचारी थे, जिनमें से 27 हजार भारतीय थे। इनमें बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की थी, जो अस्थायी रूप से काम करके अपनी पढ़ाई और जीवनयापन का खर्च निकालते थे। प्रधानमंत्री के इस नए फैसले से भारतीय छात्रों और अन्य विदेशी कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अब उनके रोजगार के अवसर सीमित हो जाएंगे।
स्थायी निवास की योजना
इस बीच, कनाडा सरकार ने अगले कुछ वर्षों में स्थायी निवास (PR) देने के लक्ष्य भी घोषित किए हैं। 2024 में 3.95 लाख, 2026 में 3.80 लाख और 2027 में 3.65 लाख लोगों को स्थायी निवास दिए जाने की योजना है। हालांकि, अस्थायी कर्मचारियों की संख्या में कटौती का यह निर्णय स्थायी निवास प्राप्त करने की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकता है।
पार्टी में बगावत
प्रधानमंत्री ट्रूडो के इन फैसलों के चलते उनकी अपनी लिबरल पार्टी में भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पार्टी के 24 सांसदों ने उनसे इस्तीफा देने की मांग की है। इन सांसदों का कहना है कि यदि ट्रूडो 28 अक्टूबर तक पद से इस्तीफा नहीं देते, तो वे आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। लिबरल पार्टी में कुल 153 सांसद हैं, और बागी सांसदों का नेतृत्व कर रहे पैट्रिक वीलर का कहना है कि 2024 के चुनावों में लिबरल पार्टी की स्थिति बेहद खराब हो सकती है। यदि ट्रूडो पद पर बने रहते हैं, तो पार्टी की हार लगभग तय मानी जा रही है।
ट्रूडो के इस नए फैसले के बाद कनाडा के भारत के साथ पहले से तनावपूर्ण संबंध और अधिक जटिल हो सकते हैं, और इससे कनाडा में रह रहे भारतीयों को भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।