Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण में कहेंगी ये कठिन शब्द, जानिए क्या है इनका सरल अर्थ

punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 11:10 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2025 का आम बजट संसद में पेश करेंगी। यह बजट सरकार की आर्थिक नीतियों और योजनाओं का खाका तैयार करता है, और इसमें कई तकनीकी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनसे आम जनता परिचित नहीं होती। हालांकि, इन शब्दों का सही अर्थ जानने से बजट को पूरी तरह से समझा जा सकता है और यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सरकार की आर्थिक नीतियां किस दिशा में जा रही हैं। 

बजट एक विस्तृत वित्तीय दस्तावेज है, जिसमें सरकार की आय और व्यय का पूरा विवरण होता है। इसमें सरकार के विभिन्न राजस्व स्रोतों, जैसे टैक्स, सरकारी खर्चों, योजनाओं और विकास कार्यों के लिए प्रस्तावित धनराशि, आर्थिक सुधारों के उपाय आदि की जानकारी दी जाती है। बजट के दौरान वित्तीय शब्दों का सही अर्थ जानना आवश्यक होता है ताकि हम यह समझ सकें कि बजट से संबंधित निर्णय और योजनाएं हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर सकती हैं।

आइए जानते हैं बजट 2025 से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ

1. बजट एस्टिमेट (Budget Estimate):
बजट एस्टिमेट का मतलब है, आगामी वित्तीय वर्ष में सरकार की संभावित आमदनी और खर्च का अनुमान। यह अनुमान सरकार द्वारा किए जाने वाले विभिन्न आर्थिक विश्लेषणों और भविष्यवाणियों के आधार पर तैयार किया जाता है। इसमें टैक्स संग्रह, सरकारी खर्च, सब्सिडी, योजनाओं के लिए धनराशि आदि का विवरण होता है।

2. फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit):
जब सरकार की कुल आय उसकी कुल खर्च से कम होती है, तो उसे राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) कहा जाता है। इस स्थिति में सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए ऋण लेती है या बॉन्ड जारी करती है। यह संकेतक सरकार की वित्तीय स्थिति को दर्शाता है और यह देखना महत्वपूर्ण होता है कि क्या सरकार अपने खर्चों को संतुलित कर रही है या नहीं।

3. रिवाइज्ड एस्टिमेट (Revised Estimate):
रिवाइज्ड एस्टिमेट वह अनुमाना है, जो सरकार अपने बजट में किसी भी बदलाव के बाद देती है। यह पूर्वानुमानित बजट में हुए बदलावों को दिखाता है, जो वास्तविक आय-व्यय के आधार पर किए जाते हैं। इसके द्वारा सरकार यह बताती है कि वित्तीय वर्ष के दौरान किस तरह की आय-व्यय की स्थिति सामने आई है।

4. एक्चुअल (Actual):
एक्चुअल वह आंकड़े होते हैं, जो किसी वित्तीय वर्ष में वास्तविक रूप से अर्जित राजस्व और किए गए खर्च का रिकॉर्ड होते हैं। यह बजट के अनुमानों और रिवाइज्ड एस्टिमेट्स से अलग होते हैं। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार की वित्तीय नीतियां और योजनाएं कितनी प्रभावी रही हैं।

5. फाइनेंस बिल (Finance Bill):
फाइनेंस बिल वह विधेयक होता है, जो बजट प्रस्तुति के बाद संसद में पेश किया जाता है। इस विधेयक में सरकार की आय और व्यय से संबंधित सभी प्रस्ताव होते हैं, जिनमें टैक्स प्रस्ताव, सरकारी उधारी, और अन्य वित्तीय प्रावधान शामिल होते हैं। इसे संसद से मंजूरी मिलने के बाद ही लागू किया जा सकता है।

6. एप्रोप्रिएशन बिल (Appropriation Bill):
यह विधेयक संसद में पेश किया जाता है ताकि सरकार को विभिन्न विभागों और योजनाओं के लिए धन खर्च करने की अनुमति मिल सके। संसद द्वारा इसे मंजूरी मिलने के बाद ही सरकार बजट में आवंटित राशि का उपयोग कर सकती है। इस विधेयक का उद्देश्य वित्तीय अनुशासन को बनाए रखना है।

7. फिस्कल सरप्लस (Fiscal Surplus):
फिस्कल सरप्लस तब होता है जब सरकार की कुल आय उसके कुल खर्च से अधिक होती है। इसका मतलब है कि सरकार का वित्तीय प्रबंधन सफल रहा और आय-व्यय में संतुलन बना रहा। यह स्थिति सरकार के लिए आर्थिक स्थिरता का संकेत देती है।

8. रेवेन्यू डेफिसिट (Revenue Deficit):
जब सरकार की कुल राजस्व आय उसकी राजस्व व्यय से कम होती है, तो इसे राजस्व घाटा कहा जाता है। इसका मतलब है कि सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए उधारी पर निर्भर रहना पड़ता है। यह एक नकारात्मक संकेतक हो सकता है जो आर्थिक स्वास्थ्य पर असर डालता है।

9. टैक्स (Tax):
टैक्स वह राशि है, जिसे सरकार नागरिकों और कंपनियों से प्राप्त करती है, ताकि सार्वजनिक सेवाओं और योजनाओं का वित्तपोषण किया जा सके। यह विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स शामिल हैं।

10. डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स (Direct and Indirect Tax):
- डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax): यह उन करों को कहा जाता है, जो सीधे व्यक्तियों या कंपनियों से लिए जाते हैं, जैसे आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स।
- इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax): ये कर उन वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाते हैं, जिन्हें उपभोक्ता खरीदते हैं, जैसे जीएसटी, कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी।

11. इनकम टैक्स (Income Tax):
यह कर किसी व्यक्ति की कुल आय पर लगाया जाता है। यह आमतौर पर विभिन्न स्लैबों में विभाजित होता है, जिससे यह तय होता है कि व्यक्ति की आय के आधार पर उसे कितना टैक्स देना होगा। सरकार इस कर से अर्जित धन का उपयोग सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए करती है।

12. कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax):
यह कर कंपनियों की वार्षिक आय पर लगाया जाता है। यह सरकारी राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है और विभिन्न कंपनियों के लिए अलग-अलग दरों पर लागू होता है।

13. डिसइन्वेस्टमेंट (Disinvestment):
डिसइन्वेस्टमेंट का मतलब है, सरकारी कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को आंशिक या पूरी तरह से बेचना। इससे सरकार को वित्तीय संसाधन मिलते हैं, जिनका उपयोग वह अपने विकास कार्यों और अन्य योजनाओं में करती है।

14. कंटिन्जेंसी फंड (Contingency Fund):
यह एक आपातकालीन कोष होता है, जिसका उपयोग सरकार किसी अप्रत्याशित संकट या आपदा के दौरान करती है। इसे संसद से अनुमोदन के बिना भी खर्च किया जा सकता है, जब आवश्यकता होती है।

15. कंसोलिडेटेड फंड (Consolidated Fund):
यह सरकार का मुख्य कोष होता है, जिसमें सभी प्रकार की आय जमा होती है, जैसे टैक्स, ऋण, और अन्य वित्तीय स्रोत। इसमें से धन निकालने के लिए संसद से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है।

16. रेवेन्यू एक्सपेंडिचर (Revenue Expenditure):
यह वह खर्च होता है, जो सरकार रोजमर्रा के कार्यों और प्रशासनिक कार्यों में करती है, जैसे वेतन, पेंशन, सब्सिडी आदि। यह खर्च अल्पकालिक होता है।

17. कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capital Expenditure):
यह खर्च दीर्घकालिक परिसंपत्तियों के निर्माण में किया जाता है, जैसे बुनियादी ढांचे के कार्य (सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल आदि)। यह देश की आर्थिक प्रगति में मदद करता है।

18. शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गेन (Short Term and Long Term Gain):
- शॉर्ट टर्म गेन: जब कोई निवेशक एक वर्ष से कम समय के लिए निवेश करता है और उससे लाभ प्राप्त करता है, तो उसे अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कहा जाता है।
- लॉन्ग टर्म गेन: जब कोई निवेशक एक साल से अधिक समय तक निवेश रखता है और उससे लाभ प्राप्त करता है, तो इसे दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कहते हैं।


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Content Editor

Mahima

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