अनोखा मामला: किसान ने साधुं-संतों की मजूदगी में कार को दी 'समाधि', खूब बजे ढोल-नगाड़े और डीजे
punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2024 - 04:16 PM (IST)
नेशनल डेस्क: गुजरात के अमरेली जिले के पदरसिंगा गांव में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक किसान ने अपनी पुरानी कार को समाधि दी और इसे एक स्मारक बना दिया। इस आयोजन के दौरान गांव में विधि-विधान से पूजा-पाठ किया गया और पूरा गांव धूमधाम से इस अनोखी घटना में शामिल हुआ। विशेष रूप से साधु-संतों की उपस्थिति में कार को गड्ढे में दफन किया गया और उसके ऊपर मिट्टी डाली गई।
जानें क्यों लिया यह फैसला
यह मामला अमरेली के लाठी तालुका के पदरसिंगा गांव का है, जहां किसान संजय पोलारा ने अपनी पुरानी कार को समाधि देने का फैसला किया। संजय पोलारा का मानना है कि यह कार उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आई थी, जिसके कारण उन्होंने अपनी प्रगति देखी। संजय ने यह कार 2013-14 में खरीदी थी और इसे अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते थे।
संजय का कहना था कि यह कार उनके लिए 'भाग्यशाली साथी' रही, जिससे उनका रुतबा बढ़ा और समाज में नाम हुआ। उन्होंने इसे बेचने की बजाय एक सम्मानजनक विदाई देने का निर्णय लिया। इसके चलते उन्होंने इस कार को समाधि देने का कार्यक्रम आयोजित किया।
ढोल-नगाड़े और डीजे की धुनों पर हुआ उत्सव
गांव में इस अनोखे आयोजन के लिए ढोल-नगाड़े और डीजे की धुनों के बीच पूरा गांव इकट्ठा हुआ। कार को फूलों से सजाया गया और उसे समाधि देने से पहले विशेष पूजा और अनुष्ठान किए गए। इसके बाद कार को गड्ढे में दफन किया गया और बुलडोजर से उस पर मिट्टी डाली गई। इस आयोजन में गांव के लोग, रिश्तेदार और संजय के मित्र भी शामिल हुए। सूरत, अहमदाबाद और आसपास के इलाकों से भी लोग इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।
संजय पोलारा ने इसे अपनी प्रगति का प्रतीक माना
संजय पोलारा का मानना था कि इस कार के आने के बाद उनके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए, जिनकी वजह से उनका जीवन बेहतर हुआ। उन्होंने इसे एक सम्मानजनक विदाई देने का फैसला किया क्योंकि यह कार उनके लिए बहुत मायने रखती थी।
गांव में बना चर्चा का विषय
संजय पोलारा की इस पहल को गांव में लोगों ने बहुत सराहा। इस अनोखे कार्यक्रम की चर्चा अब पूरे अमरेली जिले में हो रही है। संजय के मित्र राजूभाई जोगानी ने इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया और कहा कि यह आयोजन विशेष रूप से भावनाओं से जुड़ा हुआ था। इस आयोजन ने यह साबित किया कि किसी वस्तु को 'स्मारक' बनाने का तरीका केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को सम्मान देने का तरीका हो सकता है।