टैक्स अदा करने में गूगल भी करता है आनाकानी

punjabkesari.in Wednesday, May 25, 2016 - 02:39 PM (IST)

अपने वित्तीय दायित्वों को निभाने में नाकाम दुनिया की सबसे बड़े सर्च इंजन और अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनी गूगल के पेरिस स्थित मुख्यालय पर फ्रांसीसी पुलिस ने छापे मारे। इंटरनेट कंपनी गूगल पर ऐसी कार्रवाई हो सकती है, किसी सोचा भी न होगा। लेकिन फ्रांस, ब्रिटेन और कई देशों ने काफी समय पहले शिकायत की थी कि बड़ी डिजिटल कंपनियां उनके देश में मुनाफा कमाती हैं। उनका टैक्स का भुगतान का आधार दूसरे देशों में होता है जहां कॉर्पोरेट टैक्स दर बहुत कम होती है। बता दें कि गूगल के हेडक्वार्टर पर टैक्स चोरी करने के मामले में ही छापा मारा गया है। 

बताया जाता है कि गूगल पर फ्रांस की सरकार का 1.6 अरब डॉलर (करीब 160 अरब रुपए) बकाया है। ब्रिटेन में गूगल कंपनी जनवरी में 18 करोड़ 97 लाख पाउंड चुकाने को तैयार हुई थी। यूरोपीय संघ पहले ही कह चुका है कि बड़ी कंपनियों को टैक्स के बारे में ज्यादा जानकारी मुहैया कराने के लिए मजबूर किया जाएगा। यह काफी हद तक सही भी है। उनके सदस्य देशों में यदि यह कंपनी सुविधाओं का इस्तेमाल करते हुए अपने व्यपार को बढ़ाने में कामयाब हो रही है तो उसे वहां के नियमों के मुताबिक करों का भुगवान भी करना होगा। 

हाल में फेसबुक पर राजनीतिक पक्षपात बरतने का आरोप लगाया जा रहा था। इस पर  गूगल ने फैसला किया था कि शिकायत को दूर रखने के लिए वह स्वयं में बदलाव करेगा। आंतरिक जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि गूगल राजनीतिक पक्षपात कर रहा है। इसके बावजूद इंटरनेट कंपनी ने बकायदा बैठक का आयोजन करके अपने कामकाज की गहन समीक्षा की थी। उसमें सारी स्थिति स्पष्ट होने और भविष्य में बेहतर काम करने की रूपरेखा तय करने के बाद पूरी टीम अपने काम में जुट गई। अचानक इस कंपनी के पेरिस स्थित मुख्यालय पर इतनी बड़ी कार्रवाई हो गई, जिसका किसी को अनुमान भी नहीं था।

गौरतलब है कि यह कार्रवाई पहली बार नहीं हुई है। गूगल फ्रांस को मार्च 2014 में जांच के लिए एक नोटिस मिला था। इसमें सही आंकड़े नहीं दिए जाने की बात पर आपत्ति जताई गई थी। इसके अतिरिक्त जून 2011 में भी फ्रांस के अधिकारियों की ओर से गूगल के आयरिश मुख्यालय स्थानांतरण को लेकर जांच के दौरान भी छापे मारे गए थे। बीते पांच वर्षों में स्थिति सामान्य रही, लेकिन आरोपों का सिलसिला जारी रहा, इसके फलस्वरूप माना जा रहा है कि यह कार्रवाई की गई है। हालांकि गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने पेरिस यात्रा के दौरान टैक्स कार्रवाई को लेकर कंपनी का बचाव किया था, लेकिन उनका यह प्रयास भी काम नहीं आया।

गूगल की सफाई है कि उसके पेरिस, लंदन और यूरोप की अन्य राजधानियों में भी कार्यालय हैं, लेकिन इन्हें व्यापार के लिए पूरी तरह विकसित नहीं किया गया है। ये सिर्फ उसके डबलिन स्थि​त अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय के सैटेलाइट के रूप में काम करते हैं। ये इसके लिए मार्केटिंग का जिम्मा भी देखते हैं। कंपनी को ज्यादातर गैर अमरीकी राजस्व डबलिन के माध्यम से विज्ञापनों जैसी गतिविधियों से मिलता है। जबकि यूरोपियन मानकों के हिसाब से 12.5 प्रतिशत कॉरपोरेशन टैक्स की दर बहुत कम है, इससे उसका ढांचा आय पर यूरोपियन और अमरीकी टैक्स से राहत देता है।

स्टेट फाइनेंशियल प्रोसाक्यूटर का कहना है​ कि यह तलाशी जून 2015 में की जांच के बाद की जाने वाली कार्रवाई का एक हिस्सा है। इसका संबंध फ्रांस कर प्राधिकरण द्वारा की गई वित्तीय धोखाधड़ी, मनी लॉन्डरिंग जैसी शिकायतों से है। गूगल के साथ—साथ एप्पल, याहू और अन्य कई तकनीकी कंपनियों पर ​ब्रिटेन,फ्रांस आदि देशों ने शिकायत दर्ज् कराई थी कि ये मुनाफा तो उनके देशों में कमाते हैं, लेकिन टैक्स चुकाने में कन्नी काट जाती हैं। जनवरी 2016 में गूगल ब्रिटेन के कोष में 130 मिलियन पाउंड जमा कराने को तैयार हो गया। तभी प्रतिक्रिया में टैक्स संबंधी आंदोलन करने वालों और विपक्ष के सांसदों ने जोरदार हंगामा मचा दिया था कि राजस्व विभाग ने इस कंपनी को आयरलैंड के रास्ते ब्रिटेन में काम करने की अनुमति दे दी गई है।

फ्रांस के कर विभाग ने गूगल से ब्रिटेन की तरह सौदा करने से इंकार कर दिया और अपने पुराने करों की अदायगी का दबाव बनाया। वह किसी प्रकार की छूट भी नहीं देना चाहता था। गूगल ने हर देश में वहां के कर कानून को मानने से इंकार कर दिया। देखना यह होगा कि गूगल फ्रांस में स्थिति को कैसे सामान्य करता है।


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