ऑफ द रिकॉर्डः जस्टिस पटनायक के लिए अत्यंत कठिन काम

punjabkesari.in Sunday, Oct 28, 2018 - 10:49 AM (IST)

नेशनल डेस्कः सीबीआई के छुट्टी पर भेजे गए निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर जांच पूरी करना एक बड़ी चुनौती होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को आदेश दिया है कि वह शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त जज एके पटनायक की निगरानी के तहत जांच को दो सप्ताह में पूरी करे मगर आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि निर्धारित समय सीमा में जांच पूरी करना असंभव होगा। सी.वी.सी. और सी.बी.आई. अधिकारी 29 अक्तूबर से देश भर में मनाए जा रहे सतर्कता सप्ताह की तैयारियों में व्यस्त रहेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के 31 अक्तूबर को सतर्कता अधिकारियों को संबोधित किए जाने की संभावना है। सतर्कता सप्ताह 3 नवम्बर को खत्म होगा। 4 नवम्बर को रविवार है। इसके बाद 6 और 7 नवम्बर को दीवाली समारोह होंगे इसलिए समय की बहुत कमी होगी। उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि यह जांच सी.वी.सी. द्वारा की जाएगी और जस्टिस पटनायक निगरानी करेंगे। अगर सी.वी.सी. की पूरी मशीनरी भी सतर्कता सप्ताह के दौरान व्यस्त रहेगी तो जांच तेजी से कैसी हो सकती है।

निर्धारित समय सीमा में जांच वर्मा के व्यवहार की करनी होगी, जिन्हें बुधवार को तड़के छुट्टी पर भेज दिया गया था। यह जांच कैबिनेट सचिव पी.के. सिन्हा के 24 अगस्त को सी.वी.सी. को भेजे गए उस पत्र पर आधारित होगी जिसमें सी.बी.आई. के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। बताया जाता है कि अस्थाना ने अपने आरोपों के समर्थन में सबूत भी दिए हैं। जस्टिस पटनायक कमेटी को सबूतों को देखने की जरूरत होगी। वह वर्मा को तलब कर मामले में उनके पक्ष को सुनेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो पटनायक विशेष निदेशक अस्थाना को भी तलब कर सकते हैं। कुछ मामले दायर किए गए हैं, जिनकी सच्चाई जानने के लिए निचले स्तर तक जांच करने की जरूरत होगी।

दूसरी बात यह है कि ए.के. पटनायक को जांच में उनकी मदद करने के लिए एक कार्यालय और स्टाफ की जरूरत होगी जिससे जांच में तेजी लाई जा सके। पटनायक शीर्ष अदालत में एक सख्त स्वभाव के जज रहे हैं, वह दक्षिण दिल्ली में एक छोटे से प्राइवेट फ्लैट में रहते हैं। उनका बेटा सुप्रीम कोर्ट में वकील है। अब यह जस्टिस पटनायक पर निर्भर है जो इस बात को यकीनी बनाएंगे कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा में जांच पूरी की जाए और 12 नवम्बर से पहले रिपोर्ट सौंपी जाए। बहुत से लोगों का ऐसा विश्वास है कि सी.वी.सी. और सरकार की जांच में विलम्ब करने की रुचि है ताकि सरकार को समय मिल जाए और सी.बी.आई. में मचा घमासान कम हो जाए। सरकार जांच में इसलिए विलम्ब कराने की इच्छुक है क्योंकि आलोक वर्मा का कार्यकाल अगले वर्ष 1 फरवरी को खत्म होने वाला है। उन्होंने 2 फरवरी 2017 को सी.बी.आई. प्रमुख का कार्यभार संभाला था।


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Seema Sharma

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