महाराष्ट्र में महानाटक: पहले भी चौंकाती रही है देश की सियासत

punjabkesari.in Sunday, Nov 24, 2019 - 09:28 AM (IST)

नई दिल्ली (सुनील पाण्डेय): महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने को लेकर सहमति बन चुकी थी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने पर भी वे सहमत थे। आज बाकी मुद्दों पर बातचीत के बाद सरकार गठन की तारीख तय होती, तभी रातों-रात सियासी तस्वीर बदल गई। राजनीतिक पंडितों को चौंकाते हुए शनिवार सुबह भाजपा ने राकांपा नेता अजीत पवार के समर्थन से सरकार बना ली। इस अचानक हुए उलटफेर से हर कोई हैरान है, लेकिन देश की सियासत में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी कई ऐसे मौके आए हैं, जब सियासत की तस्वीर अचानक इस तरह बदली, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी।

 

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...जब एक वोट से गिर गई थी अटल सरकार
1998 में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन 13 महीने में ही गठबंधन सरकार गिर गई। दरअसल जे. जयललिता लगातार सरकार से कुछ मांगें कर रही थीं। उस वक्त तमिलनाडु में डी.एम.के. की सरकार थी और एम. करुणानिधि मुख्यमंत्री थे। जयललिता चाहती थीं कि केंद्र तमिलनाडु सरकार को बर्खास्त कर दे। ऐसा नहीं होने पर जयललिता ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया और भाजपा को सदन में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। 17 अप्रैल, 1999 को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस हुई। भाजपा सरकार के पक्ष में 269 वोट पड़े जबकि विरोध में 270 वोट पड़ गए और अटल सरकार एक वोट से विश्वासमत हार गई।

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एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे जगदम्बिका
1998 में उत्तर प्रदेश (यू.पी.) में जगदम्बिका पाल सिर्फ एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बन गए थे। हुआ यूं कि 21-22 फरवरी, 1998 की रात राज्यपाल रोमेश भंडारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की, लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया। भाजपा के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बाहरी विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाई जिसका विपक्ष ने विरोध किया। गवर्नर भंडारी ने भी एतराज जताया और सरकार को बर्खास्त करने का निर्णय किया। इसके बाद उन्होंने जगदम्बिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। कल्याण सिंह के समर्थक मामले को लेकर हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट ने गवर्नर के फैसले पर रोक लगा दी।

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जब मांझी को हटाकर दोबारा मुख्यमंत्री बने नीतीश
2014 के आम चुनाव में नीतीश कुमार को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। नैतिकता का हवाला देते हुए नीतीश ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी। इसके बाद, जीतनराम मांझी को अपना उत्तराधिकारी चुना। हालांकि नीतीश की यह दरियादिली ज्यादा दिन तक कायम नहीं रही। मांझी से उनका मतभेद हुआ और मांझी को जबरन कुर्सी से हटाकर नीतीश एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए।

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...और बड़े उलटफेर के साथ फिर मुख्यमंत्री बने येद्दियुरप्पा
2018 के कर्नाटक विधानसभा के नतीजे के बाद भाजपा 104 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। बी.एस. येद्दियुरप्पा ने 17 मई, 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और दावा किया कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है। मगर 19 मई को बहुमत परीक्षण से ठीक पहले इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस और जे.डी.एस. ने गठबंधन कर एच.डी. कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बनाई जो 14 महीने ही चल पाई। इसके बाद येद्दियुरप्पा फिर मुख्यमंत्री बने।

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Seema Sharma

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