ETF निवेश पर निवेशक ने उठाए सवाल, SEBI पर चुप्पी साधने का लगाया बड़ा आरोप
punjabkesari.in Saturday, Apr 12, 2025 - 08:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक निवेशक ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में के माध्यम से सेबी को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है, निवेशक ने भारतीय शेयर बाजार के एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि भारतीय ईटीएफ बाजार में निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इस पर चुप है। पोस्ट करते हुए निवेशक ने कहा कि बड़े एएमयू वाले ईटीएफ में इंडिकेट नेट एसेट वैल्यू (नैव) और एएमपी (करेंट मार्केट प्राइज) के बीच अंतर सामान्य दिनों में 2-3% होता है और अस्थिर बाजार स्थितियों में यह अंतर 7% तक पहुंच सकता है। अंतर्राष्ट्रीय ईटीएफ में स्लिपेज 10% से अधिक हो सकता है, जिससे निवेशकों को नुकसान हो रहा है।
आगे उन्होंने आरोप लगाया कि सेबी इस मुद्दे की जांच नहीं कर रहा है कि इन स्लिपेज से कौन लाभान्वित हो रहा है—ब्रोकर, मार्केट मेकर, या ईटीएफ चलाने वाली एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी)। निवेशक ने अंत में सलाह भी दी कि जब तक इस पर सख्त विनियामक कार्रवाई नहीं होती, निवेशकों को ईटीएफ से बचना चाहिए और कम लागत वाले इंडेक्स फंड्स में निवेश करना चाहिए। निवेशक ने अंत में अपनी पोस्ट में कहा, "जब तक सेबी इस पर सख्त कार्रवाई नहीं करता, मैं केवल लिक्विड फंड्स में निवेश करूंगा।"
Indian stock market's ETFs are a scam, and SEBI is sleeping on it.
— Karan Rajpal (@IronyMeter) April 11, 2025
On any given day, rate difference between the iNAV and CMP are apart by at least 2-3% on ETFs with large AUM, and can be off by up to 7% on volatile days in illiquid, small AUM ETFs.
In the case of…
सेबी की स्थिति क्या है?
सेबी ने मई 2022 में ईटीएफ के लिए कुछ सुधारात्मक कदम उठाए थे, जैसे कि इंडिकेट नेट एसेट वैल्यू की अनिवार्य वास्तविक समय में घोषणा और कम से कम दो मार्केट मेकर की नियुक्ति। इसके अलावा, ईटीएफ यूनिट्स के लिए ₹25 करोड़ और उससे अधिक के लेन-देन पर सीधे लेन-देन की अनुमति दी गई थी। हालांकि, सेबी ने यह भी स्वीकार किया है कि भारतीय ईटीएफ के बाजार में मूल्य विकृति और कम तरलता की समस्याएं हैं, विशेष रूप से छोटे और मिड-कैप ईटीएफ में।