Bihar Elections 2025: भड़की महिला वोटर्स बोलीं- ''वोट मांगने आए तो झाड़ू से मारेंगे…''

punjabkesari.in Friday, Sep 19, 2025 - 04:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में पॉलिटिकल पार्टियां जोर- शोर से इन चुनावों की तैयारियों में लगी हुई हैं। चुनाव से जुड़ी राज्य के अलग-अलग हिस्सों से सियासी खबरें सामने आ रही हैं। इस बार सबसे बड़ी चुनौती किसी पार्टी या प्रत्याशी के लिए नहीं, बल्कि लोकतंत्र के सबसे बड़े हथियार मतदान के लिए खड़ी हो रही है। सारण जिले के सोनपुर प्रमंडल के सात गांवों के लोगों ने साफ ऐलान कर दिया है कि अगर गंगा के कटाव से उन्हें राहत नहीं मिली, तो वे इस बार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

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दशकों से गंगा के कटाव का दर्द

सोनपुर प्रमंडल के गंगाजल, पहलेजा शाहपुर, नजरमीरा और सबलपुर पंचायतों समेत कुल सात गाँव गंगा नदी के उत्तरी तट पर बसे हुए हैं। करीब 60 वर्ग किलोमीटर के इस इलाके में लगभग साढ़े तीन लाख की आबादी और 35 हजार से ज्यादा घर हैं। यहां करोड़ों-अरबों की सरकारी और निजी संपत्ति मौजूद है, लेकिन हर साल गंगा का कटाव इन गांवों को निगल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि नेता और सरकारें सालों से सिर्फ आश्वासन दे रही हैं, लेकिन कटाव को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

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महिलाओं की चेतावनी-

इस आंदोलन में गाँव की महिलाएं भी पूरी ताकत से शामिल हो गई हैं। कई महिलाओं ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर कोई नेता वोट मांगने उनके दरवाजे पर आया, तो उसे झाड़ू से खदेड़ दिया जाएगा। उनका कहना है कि जब तक रिंग बांध बनने का स्पष्ट ऐलान नहीं होता और बाढ़-कटाव पीड़ितों को उचित मुआवजा नहीं मिलता, तब तक कोई भी ग्रामीण वोट डालने नहीं जाएगा।

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रेलवे बचा, गाँव डूबे

ग्रामीणों का गुस्सा इस बात पर भी है कि रेलवे ने अपनी संपत्ति (पिलर और पुल) को बचाने के लिए रिंग बांध और बोल्डर बैग का सहारा लिया, लेकिन बगल में बसे गांवों को उसी गंगा के कटाव के हवाले छोड़ दिया। उनका कहना है कि अगर रेलवे अपनी संपत्ति बचा सकता है, तो सरकारें गांवों को क्यों नहीं बचा पा रहीं?

चुनाव पर पड़ेगा असर

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वास्तव में इन सात गांवों में वोट बहिष्कार होता है, तो इसका सीधा असर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ेगा। तीन लाख से ज्यादा की आबादी और हजारों वोट किसी भी उम्मीदवार की जीत-हार का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। इसी वजह से अब तक नजरअंदाज किए गए ये गाँव अचानक चुनावी केंद्रबिंदु बन गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई चुनावों से हर नेता उनके दरवाजे पर आया, लेकिन गंगा के कटाव पर कोई स्थायी समाधान नहीं दिया। हर साल बारिश और बाढ़ के मौसम में दर्जनों घर नदी में समा जाते हैं और लोग बेघर हो जाते हैं।


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News Editor

Radhika

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