एलन मस्क की Starlink भारत में लाएगी सैटेलाइट फोन सेवा, जियो-एयरटेल को देगी टक्कर

punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 09:14 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक भारत में जल्द ही अपनी सैटेलाइट फोन सेवा शुरू करने जा रही है। अब तक हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड के लिए चर्चित स्टारलिंक भारत में अपनी मोबाइल सेवा के ज़रिए जियो और एयरटेल जैसी बड़ी दूरसंचार कंपनियों को सीधी टक्कर देने की तैयारी में है।

सूत्रों के अनुसार स्टारलिंक का डेटा प्लान जियो और एयरटेल से थोड़ा महंगा हो सकता है लेकिन यह उन क्षेत्रों में बेहद कारगर साबित होगा जहाँ मोबाइल नेटवर्क की पहुंच कम है। टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क की स्टारलिंक समेत अन्य सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनियां भारत में जल्द सेवाएं लॉन्च करने की तैयारी में हैं।

प्रारंभिक प्लान और ग्राहक विस्तार का लक्ष्य

रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआती प्रमोशनल अनलिमिटेड डेटा प्लान $10 डॉलर (करीब 840 रुपए) प्रति माह हो सकता है। कंपनियों का लक्ष्य तेजी से यूजर बेस का विस्तार करना और मिड-टू-लॉन्ग टर्म में एक करोड़ तक ग्राहक जोड़ने का है। इससे वे स्पेक्ट्रम की ऊंची लागत की भरपाई कर सकेंगी।

 

PunjabKesari

 

शहरी बाजारों में प्रतिस्पर्धा और सीमित क्षमता

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने शहरी क्षेत्रों में सैटेलाइट कम्युनिकेशन यूजर्स के लिए 500 रुपए मासिक शुल्क की सिफारिश की है। इससे सैटेलाइट कम्युनिकेशन स्पेक्ट्रम पारंपरिक टेरेस्ट्रियल सेवाओं के मुकाबले महंगा होगा। विश्लेषकों का मानना है कि ज्यादा कीमत होने के बावजूद स्टारलिंक जैसी मजबूत फंडिंग वाली कंपनियों के लिए भारत के शहरी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल नहीं होगा। हालांकि सीमित सैटेलाइट क्षमता के कारण भारत में स्टारलिंक के सब्सक्राइबर बेस को तेजी से बढ़ाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

PunjabKesari

 

 

एक रिसर्च के मुताबिक फिलहाल स्टारलिंक के 7,000 सैटेलाइट्स करीब 40 लाख ग्लोबल यूजर्स को सेवा दे रहे हैं। अगर सैटेलाइट्स की संख्या 18,000 तक भी पहुंच जाए तब भी 2030 तक भारत में सिर्फ 15 लाख ग्राहकों को ही सेवा दी जा सकेगी। इस रिसर्च में कहा गया है कि सीमित क्षमता के कारण किफायती प्राइसिंग भी नए ग्राहकों को जोड़ने में ज्यादा प्रभावी नहीं होगी।

लेवी और लाइसेंस शुल्क

ट्राई की सिफारिशों के तहत सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनियों को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर 4 प्रतिशत लेवी और प्रति मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम पर करीब 3,500 रुपए की सालाना फीस देनी होगी। कमर्शियल सेवाएँ देने पर 8 प्रतिशत लाइसेंस फीस भी देनी होगी। इन प्रस्तावों को लागू करने से पहले सरकार की अंतिम मंजूरी जरूरी है। स्टारलिंक का भारत में आगमन दूरसंचार क्षेत्र में एक नई प्रतिस्पर्धा और ग्रामीण व दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी के लिए नए अवसर पैदा कर सकता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Rohini Oberoi

Related News