ईद: रोजाना पांच किलो दूध पीता है सुल्तान, अब है खरीदार का इंतजार
punjabkesari.in Monday, Aug 20, 2018 - 11:34 AM (IST)
नई दिल्ली: (नवोदय टाइम्स): बकरीद को लेकर पुरानी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद इलाके में बकरों का बाजार वैसे तो पिछले कई दिनों से सजा हुआ है, लेकिन ईद से ऐन पहले यहां खरीद-फरोख्त में तेजी आ गई है। मंडी में अलवरी नस्ल का सुल्तान और सीलमपुर मंडी में लक्की और सनी की दबंग जोड़ी आई हुई है। इनके लिए खरीददार का इंतजार है। आसपास के विभिन्न राज्यों से आए इन बकरों को खरीदने के लिए अब लोगों की भीड़ उमड़ रही है। बकरीद बुधवार को है। दूसरी ओर मार्केट में कुदरती रूप से अरबी में अल्लाह, मोहम्मद लिखे होने का दावा कर कई लोग अपने बकरों की मोटी रकम मांग रहे हैं। बाजार में बकरा लेने आया हर शख्स इन बकरों को एक बार जरूर देखना चाहता है। बकरा कारोबारियों का कहना है कि इस बार बाजार में बकरे तो बहुत हैं, लेकिन खरीदार कम ही हैं। शाही इमाम सय्यद अहमद बुखारी ने बताया कि पैगम्बर इब्राहिम से खुदा ने अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी। पैगम्बर इब्राहिम ने अपने प्यारे बेटे इस्माइल को खुदा की राह में कुर्बान करने का मन बनाया। जैसे ही वह अपने बेटे की कुर्बानी के लिए चले, खुदा ने अपनी कुदरत से इस्माइल की जगह एक भेड़ को भेज दिया। पैगम्बर इब्राहिम ने भेड़ की कुर्बानी दी। हर साल उन्हीं की याद में बकरीद या ईद-उल-जुहा मनाया जाता है।
बकरों के लिए पत्ते, खरीदार के लिए बिरयानी
मंडी में पहुंचे हजारों बकरों के लिए चने-चारे का भी इंतजाम है। मंडी में मक्का, जौ, गूलर और बड़ के पत्ते बेचे जा रहे हैं। 10 रुपए किलो पत्ते बिक रहे हैं और 20 रुपए किलो मक्का, जौ आदि। ईद पर बकरों की कुर्बानी से जुड़े अन्य सामान जैसे छुरी और चापड़ भी बेचे जा रहे हैं। इनकी कीमत 50 रुपए से लेकर 200 रुपए तक है। मंडी में आए व्यापारियों के लिए खाने-पीने की दुकानें भी खुली हुई हैं। खाने का सामान बेचने वाले लोग सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, मेरठ आदि इलाकों से आए हैं। खासतौर से हलीम और बिरयानी खूब बिक रही है। वैसे इन दुकानों पर सस्ते रेट पर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन मिल रहा है।
प्रशासन के इंतजाम से नाराज व्यापारी
दूरदराज से दिल्ली बकरे लेकर आए कारोबारी प्रशासन के इंतजाम से खासे नाराज दिखे। उनका कहना है कि 15 अगस्त को दोपहर बाद उन्हें बकरे लाने की अनुमति दी गई। प्रशासन की ओर से बकरा बाजार में जो टेंट लगाए गए हैं वह सारे फटे हुए हैं। थोड़ी से बारिश से टेंट से पानी टपकने लगता है और बकरे भीग जाते हैं। ऐसे में कई लोगों के बकरे बीमार भी हो गए हैं। इसके अलावा बाजार में बारिश का पानी निकलने का इंतजाम नहीं है। बारिश होते ही यहां कीचड़ हो जाती है। लोगों ने प्रशासन से वहां की व्यवस्था सुधारने की बात की।
कई नस्ल के बकरे
इस बकरा मंडी में पूरी दिल्ली के लोग बकरा खरीदने के लिए आ रहे हैं। हर व्यक्ति अपनी हैसियत के हिसाब से यहां बकरों को खरीद सकता है। वैसे तो राजधानी के अन्य इलाकों ओखला, जाफरबाद, इंद्रलोक, तुगलकाबाद आदि इलाकों में भी बकरों की मंडी लगी है, लेकिन सबसे ज्यादा वैरायटी और बहुतायत जामा मस्जिद की मंडी में ही है। इस मंडी में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब आदि राज्यों के बकरे बिकने के लिए आए हुए हैं। इनकी नस्ल भी एक से एक है। कोई तोतापरी है तो कोई मेवाती, किसी को अजमेरी और बरबरा कहा जा रहा है तो किसी नस्ल को पंजाबी और देसी बताया जा रहा है। मीना बाजार, उर्दू पार्क और नेताजी सुभाष मार्ग के आसपास ये बकरों के व्यापारी डेरा डाले हुए हैं। नगर निगम ने इनके यहां रुकने की व्यवस्था की है।
200 रुपए में सजाओ बकरा
मंडी में बकरों को सजाने का सामान भी बिक रहा है, जिनमें पट्टा, गजरा, झांझर, कंठा, घंटी वाली माला भी है। बकरों को बांधने के लिए कलरफुल रस्सियां भी हैं। इन्हें बेचने वाले सलीम का कहना है कि इनकी कीमत दस रुपये से शुरू होती है और 200 रुपए में सारा सामान मिल जाता है।
बड़े नाजों से पाला सुल्तान...
अब्दुल कय्यूम का कहना है कि सुल्तान को इन्होंने बड़े नाजों से पाला है। करीब दो वर्ष का सुल्तान सुबह और शाम पांच किलो दूध पीता है, इसके अलावा उसे रोजाना एक किलो बादाम व अन्य ड्राइफ्रूट खिलाए जाते हैं। इसके अलावा वह पांच किलो दाना तो 10 किलो पत्ते रोजाना खाता है। वहीं सीलमपुर से बकरे लेकर आए कारोबारी सलीम ने भी अपने बकरों लक्की और सनी को बड़े नाजों से पाला है। सलीम अपने दोनों बकरों के लिए पांच लाख रुपए मांगते हैं। सलीम का कहना है कि अगर उनके बकरों की सही कीमत नहीं मिली तो वह उन्हें वापस लेकर चले जाएंगे।