जम्मू ड्रोन हमले को लेकर EFSAS ने दिखाया PAK को आईना, कहा- कश्मीर की भलाई के दावे से कोसों दूर पाकिस्तान
punjabkesari.in Sunday, Jul 04, 2021 - 12:22 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः नीदरलैंड में एक यूरोपीय संस्था ने कश्मीर राग अलापने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को सच का आइना दिखाया है। यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के अलग-अलग मंचों पर पाकिस्तान भले ही दावा करता है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों का कल्याण और भलाई चाहता है, मगर हाल ही में जम्मू में एक रक्षा प्रतिष्ठान पर हुए ड्रोन आतंकी हमले ने पाकिस्तान के इस दावे को गलत साबित किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के असल हित जम्मू-कश्मीर के लोगों के कल्याण और भलाई से कोसों दूर हैं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के प्रधानमंत्री राजा फारूक हैदर खान ने भी हाल ही में अपने इलाके के वर्चुअल उपनिवेशीकरण के बारे में काफी कड़े शब्द कहे थे। ऐसे में पाकिस्तान की जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति सहानुभूति महज दिखावा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 27 जून को किसी भारतीय सैन्य ठिकाने पर आतंकियों की तरफ से पहला ड्रोन हमला था और ये हमला जम्मू-कश्मीर में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता की संभावनाओं के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
पाकिस्तान से लगी सीमा से मुश्किल से दस मील की दूरी पर स्थित जम्मू एयरफोर्स स्टेशन भारत के एमआई-17 हेलीकॉप्टर्स का बेस है। EFSASने बताया कि विस्फोटकों को हेलीकॉप्टर हैंगर के पास गिराया गया था, लेकिन इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ है। EFSAS का कहना है कि दुनिया के अलग-अलग मंचों पर पाकिस्तान बड़े शब्दों के साथ दावा करता है कि वो जम्मू-कश्मीर के लोगों का कल्याण और भलाई चाहता है, लेकिन हाल ही में जम्मू में एक रक्षा प्रतिष्ठान पर हुए ड्रोन आतंकी हमले ने पाकिस्तान के उस दावे को गलत साबित किया है।
वास्तव में कई EFSAS प्रकाशनों में सामने रखे गए दृष्टिकोण में दोहराया गया है कि कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के वास्तविक हित जम्मू-कश्मीर के लोगों के कल्याण और भलाई से बहुत दूर हैं। EFSAS की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए पाकिस्तान की सहानुभूति की यह कमी तब और सामने आई जब पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री राजा फारूक हैदर खान ने हाल ही में पाकिस्तान के हिस्सा वाले जम्मू-कश्मीर के वर्चुअल उपनिवेशीकरण के बारे में काफी कड़े शब्द कहे थे।