ऑपरेशन सिंदूर में भारत की रक्षा तकनीक और स्वदेशी प्रणालियों ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया: डीआरडीओ प्रमुख
punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 02:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने शनिवार को कहा कि हाल ही में सम्पन्न ऑपरेशन सिंदूर देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में बढ़ती आत्मनिर्भरता और स्वदेशी प्रणालियों की निर्णायक भूमिका का प्रमाण है। वह यह बात रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान (DIAT), पुणे के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए कह रहे थे। डॉ. कामत ने कहा कि पश्चिमी सीमाओं पर सफलतापूर्वक निष्पादित इस बहुआयामी मिशन ने न केवल भारतीय सैनिकों की बहादुरी को दर्शाया, बल्कि उन तकनीकी प्रणालियों को भी उजागर किया, जिन्होंने इस अभियान की सफलता सुनिश्चित की।
उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय स्वदेशी प्रणालियों को जाता है, जैसे कि आकाश लघु और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल प्लेटफॉर्म, आकाशतीर एयर डिफेंस कंट्रोल सिस्टम और एडवांस्ड C4I सिस्टम।” उन्होंने जोर देकर कहा कि डीआईएटी जैसे संस्थानों ने इन तकनीकी उपलब्धियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऑपरेशन सिंदूर को उन्होंने “एक सैन्य अभियान से कहीं अधिक” बताते हुए इसे “आत्मनिर्भरता, रणनीतिक दूरदर्शिता और स्वदेशी नवाचार के प्रतीक” के रूप में वर्णित किया।
डॉ. कामत ने स्नातकों से इस तकनीकी गति को बनाए रखने का आह्वान करते हुए उन्हें स्मरण कराया कि भारत का लक्ष्य 2047 तक एक विकसित राष्ट्र और वैश्विक प्रौद्योगिकी लीडर बनना है। उन्होंने कहा कि DIAT से स्नातक हो रहे छात्र सामान्य नहीं, बल्कि क्वांटम तकनीक, साइबर सुरक्षा, रोबोटिक्स, प्रणोदन, मिसाइल सिस्टम, मटेरियल इंजीनियरिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ हैं — जिनका सीधा प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ता है।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में हाइपरसोनिक प्रणोदन, स्टील्थ टेक्नोलॉजी, साइबर डिफेंस, स्पेस रेजिलिएंस और AI-आधारित कॉम्बैट सिस्टम्स के क्षेत्र में विशेषज्ञता अत्यधिक महत्वपूर्ण बनती जा रही है। दीक्षांत समारोह के दौरान स्नातक छात्रों को बधाई देते हुए, उन्होंने कहा कि उनकी प्रतिबद्धता और तकनीकी क्षमता भारत की रक्षा क्षमताओं के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में भारतीय रक्षा निर्यात की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो भारत की तकनीकी ताकत का प्रतीक है।