आत्मनिर्भरता की ओर रक्षा क्षेत्र का बड़ा कदम, रोजगार से लेकर हथियार का करेगा निर्माण

punjabkesari.in Monday, Mar 26, 2018 - 12:33 PM (IST)

नई दिल्ली: सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने को लेकर खाका तैयार कर रही है। बीते गुरुवार को रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि सरकार ने देश की प्रस्तावित नई रक्षा खरीद नीति के मसौदे में लड़ाकू विमानों से लेकर अत्याधुनिक मिसाइल निर्माण की महात्वाकांक्षी योजना की रूपरेखा बनाई है। रक्षा खरीद नीति के इस मसौदे में तमाम तरह के अत्याधुनिक हथियार व उपकरणों के साथ यात्री विमान का 2025 तक देश में ही निर्माण करने का खाका पेश किया है। इसके लिए रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को भी मौजूदा 49 फीसद से बढ़ाकर 74 फीसद तक करने का इरादा है।

रक्षा क्षेत्र में 20 से 30 लाख नई नौकरियों के अवसर
 नई रक्षा खरीद नीति पर कार्यान्वयन की शुरूआत हुई तो अगले सात सालों में 20 से 30 लाख नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। रक्षा मंत्रालय ने रक्षा खरीद नीति 2018 के मसौदे को जारी कर इस पर सुझाव और राय मांगे हैं। 

भारत में बनेंगे हथियार
सरकार की प्रस्तावित नई रक्षा खरीद नीति का मकसद सेना के लिए जरूरी हथियारों से लेकर साजो-समान की आपूर्ति में आत्म निर्भरता की ओर बढ़ना है। भारतीय सेनाएं अपनी मौजूदा हथियारों की जरूरत के लिए मुख्य रुप से विदेशी खरीद पर निर्भर हैं। नई नीति में इस खरीद का स्वरुप बदला है। इसके तहत सब कुछ बना-बनाया आयात करने की बजाय विदेशी कंपनियों को देशी कंपनियों की साझेदारी में रक्षा उपकरणों का निर्माण भारत में करने के लिए प्रोत्साहित करना है। रक्षा क्षेत्र में एफडीआई को प्रोत्साहित कर 2025 तक रक्षा कारोबार केा सालाना 1,70,000 करोड तक पहुंचाने का है। मसौदे के मुताबिक इसमें 70 हजार करोड के अतिरिक्त निवेश से रक्षा क्षेत्र में 2025 तक 20 से 30 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

रक्षा निर्यात के लिए रखा 35000 करोड़ रुपए का लक्ष्य
रक्षा खरीद नीति के मसौदे के अनुसार हथियारों और उपकरणों के क्षेत्र में सक्षम होने की ओर बढ़ने के कदम के तहत कुछ चुनिंदा क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा। इसमें लड़ाकू विमान, मध्यम श्रेणी के हेलीकाप्टर, युद्धपोत, आटोमेटिक हथियार प्रणाली, सर्विलांस सिस्टम, इलेक्ट्रानिक वारफेयर से लेकर मिसाइल सिस्टम आदि प्रमुख हैं। सरकार का इरादा अगले सात सालों में लड़ाकू विमान, हेलीकाप्टर, छोटे श्रेणी के हथियार और युद्धपोत में आत्म निर्भर होने की है। गन सिस्टम, इलेक्ट्रानिक वारफेयर सिस्टम और लैंड कांबेट वाहन की जरूरतों को भी देश में ही पूरी तरह इन सात सालों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। रक्षा क्षेत्र में प्रस्तावित नीति के सहारे हथियारों के निर्माण में अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ इनका दूसरे देशों को निर्यात करने की भी योजना है और 2025 तक भारत का रक्षा निर्यात 35000 करोड़ रुपए तक ले जाने का लक्ष्य प्रस्तावित है।

नागरिक विमान का निर्माण देश में
रक्षा क्षेत्र खरीद नीति के इस मसौदे में देश में नागरिक विमान का निर्माण करने की भी योजना का खाका पेश किया गया है। भारत में अभी सभी बड़े यात्री विमान विदेशी कंपनियों से खरीदे जाते हैं। प्रस्तावित नीति में 80 से 100 सीटों वाले यात्री विमान का देश में ही निर्माण अगले सात साल में शुरू करने की बात कही गई है।


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