ग्लोबल सर्न वैज्ञानिक डॉ. अर्चना शर्मा ने एनआईटी जालंधर में छात्रों और शिक्षकों को किया प्रेरित
punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 03:38 PM (IST)

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), जालंधर में जिनेवा स्थित सर्न (CERN) प्रयोगशाला के प्रिंसिपल स्टाफ साइंटिस्ट डॉ. अर्चना शर्मा द्वारा एक प्रेरक व्याख्यान और संवाद सत्र प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर संस्थान के विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधार्थी और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रो. अजय बंसल (रजिस्ट्रार), प्रो. ममता खोसला (डीन, इंडस्ट्री एंड इंटरनेशनल अफेयर्स), प्रो. एच.एम. मित्तल (एचओडी, फिजिक्स), डॉ. हर्लीन दहिया सहित कई विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे।
डॉ. शर्मा को हाल ही में भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीय सम्मान और ब्रिटिश संसद में भारत गौरव पुरस्कार से नवाजा गया है। वे हाई एनर्जी फिजिक्स के क्षेत्र में अपने शोध और योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती हैं। उन्होंने सर्न में बड़े विकिरण डिटेक्टरों के विकास और संचालन में अहम भूमिका निभाई है। वर्ष 2008 से वो सीएमएस जीईएम कोलैबोरेशन की संस्थापक और प्रोजेक्ट मैनेजर रही हैं, जिसने 17 देशों के लगभग 40 संस्थानों को एक साथ लाया और अपने नेतृत्व में 75 से अधिक पीएचडी शोधकर्ताओं को तैयार किया। संस्थान के निदेशक प्रो. बिनोद कुमार कनौजिया ने डॉ. शर्मा को उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए बधाई दी और संस्थान में ज्ञानवर्धक सत्र देने के लिए उनकी उपस्थिति की सराहना की।
“ब्लू स्काई रिसर्च, कोरोनावायरस और क्यों यह आपके लिए ज़रूरी है?” विषय पर अपने व्याख्यान में डॉ. शर्मा ने सर्न (CERN) के अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि बुनियादी फिजिक्स रिसर्च का समाज पर कितना गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने समझाया कि किस प्रकार वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कार से लेकर मेडिकल इमेजिंग, कैंसर की जांच और महामारी से निपटने तक की अनेक उपलब्धियाँ पार्टिकल फिज़िक्स प्रयोगशालाओं से निकलीं और आम जीवन को बदल दिया।
छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थानों, जैसे कि सर्न, से जुड़कर नई खोजों में योगदान देना चाहिए। उन्होंने युवाओं को विज्ञान के नए क्षेत्रों को अपनाने और शोध को एक साझा वैश्विक प्रयास के रूप में देखने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का समापन एक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्रों ने रिसर्च, दुनिया भर में सहयोग और करियर अवसरों से जुड़े सवाल पूछे। यह प्रेरक व्याख्यान छात्रों को भारत की वैज्ञानिक प्रगति में योगदान देने और दुनिया के रिसर्च समुदाय के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए उत्साहित करता है।