'जाति जनगणना को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल न करें', RSS का बड़ा बयान

punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2024 - 06:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि जाति जनगणना का इस्तेमाल राजनीति या चुनावी प्रक्रिया के बजाय केवल उन समुदायों या जातियों की बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए जो पिछड़ रहे हैं। आरएसएस समन्वय बैठक के समापन दिवस पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आंबेकर ने कहा कि जाति और जाति संबंधों के मुद्दे बहुत संवेदनशील हैं और इन्हें बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि ये हमारी "राष्ट्रीय एकता" और "अखंडता" के मुद्दे हैं।

हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता का महत्वपूर्ण मुद्दा
उन्होंने कहा, "आरएसएस के रूप में, हमने पहले ही इस मुद्दे पर टिप्पणी की है। हमारे हिंदू समाज में, हमारे पास जाति और जाति संबंधों का एक संवेदनशील मुद्दा है... यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इसलिए इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए, न कि केवल चुनावों, चुनाव प्रथाओं या राजनीति के आधार पर।" उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने पहले ही आंकड़े ले लिए हैं, लेकिन उन्हें केवल उन समुदायों या जातियों के सामने आने वाले मुद्दों को हल करने के लिए ही लिया जाना चाहिए।
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उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से, सभी कल्याणकारी गतिविधियों के लिए, विशेष रूप से किसी विशेष समुदाय या जाति को संबोधित करने के लिए जो पिछड़ रही है और जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, इसलिए यदि कभी सरकार को संख्या की आवश्यकता होती है, तो वह उसे ले सकती है। इसने (सरकार ने) पहले भी (संख्या) ली है; यह ले सकती है, इसमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन यह केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण को संबोधित करने के लिए होना चाहिए। इसका उपयोग चुनाव प्रचार के लिए एक राजनीतिक उपकरण के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। और इसलिए हमने सभी के लिए एक चेतावनी रेखा रखी है।"

कोलकाता रेप कांड पर क्या कहा?
आंबेकर ने यह भी बताया कि बैठक के दौरान सदस्यों ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना पर गहन चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने "पांच मोर्चों" की रूपरेखा तैयार की है, जिन पर वे इस मुद्दे को उठाएंगे। उन्होंने कहा, "यह निष्कर्ष निकाला गया कि हमें इस मुद्दे को पांच मोर्चों पर उठाना होगा। कानूनी तौर पर, हम इस मुद्दे से कैसे निपट सकते हैं; दूसरा, हम समाज में जागरूकता कैसे पैदा कर सकते हैं... फिर परिवार में 'संस्कार'। हर परिवार में, हम ऐसा माहौल और 'संस्कार' बना सकते हैं ताकि हमारा समाज ऐसे कुख्यात व्यक्तियों से मुक्त हो जाए। फिर हमारी शिक्षा, औपचारिक और अनौपचारिक, जहां हमें इस मुद्दे की संवेदनशीलता के बारे में शिक्षित करना होगा। फिर 'आत्मरक्षा', जो आत्मरक्षा कौशल और गतिविधियाँ हैं। इस प्रकार की प्रशिक्षण गतिविधियों की स्कूल स्तर, कॉलेज स्तर आदि पर आवश्यकता है।"
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उन्होंने आगे कहा कि सभी प्रकार के मीडिया से आने वाली सामग्री ने "तबाही" पैदा कर दी है, क्योंकि यह देखा गया है कि जो लोग इस प्रकार की घटनाओं में शामिल हैं, वे लंबे समय से ऐसी सामग्री देख रहे थे। उन्होंने कहा, "एक और मुद्दा विषय-वस्तु का है, जो सभी प्रकार के मीडिया से आती है... इस प्रकार की विषय-वस्तु ने तबाही मचा दी है, क्योंकि इस प्रकार की विषय-वस्तु को देखने के बाद, हम देख सकते हैं कि जो लोग इसमें शामिल हैं, वे लंबे समय से इस प्रकार की विषय-वस्तु देख रहे हैं। इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया गया और इस पर बहुत गंभीरता से ध्यान दिया गया तथा सभी संगठनों ने इस पर गहन चर्चा की। वे इस मुद्दे को अपने संगठन में उठाएंगे और इस संबंध में अपना कार्यक्रम लेकर आएंगे।" आरएसएस समन्वय बैठक 31 अगस्त को केरल के पलक्कड़ में शुरू हुई और आज संपन्न हुई।


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Content Editor

rajesh kumar

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