''बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण पक्ष डिजिटल एग्रीकल्चर है'', पीएम मोदी ICRISAT के स्वर्ण जयंती समारोह में बोले
punjabkesari.in Saturday, Feb 05, 2022 - 06:48 PM (IST)

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार देश भर में छोटे किसानों को ‘किसान उत्पाक संगठनों' (एफपीओ) में जोड़ कर बाजार में उनकी स्थिति मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है और नागरिकों की अन्न सुरक्षा के साथ साथ उनकी पोषण सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी किसानों के सशक्तीकरण में बड़ी सहायक हो सकती है और भारत इस दिशा में लगातार अपने प्रयास बढ़ा रहा है।
मोदी हैदराबाद के पाटनचेरु में अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतररष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थानइ (क्रीसैट) के परिसर में संस्थान की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने वहां एक कृषि प्रदर्शनी का भी आवलोकन किया और वैज्ञानिकों से बातचीत की।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर इक्रीसैट परिसर में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम छोटे किसानों को हजारों एफपीओ में संगठित करके एक सतकर् और शक्तिशाली बाजार शक्ति बनाना चाहते हैं।'' उन्होंने कहा कि आज भारत में हम एपपीओ और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन के निर्माण पर भी बहुत फोकस कर रहे हैं। देश के छोटे किसानों को हज़ारों एफपीओ में संगठित करके हम उन्हें एक जागरूक और बड़ी माकेर्ट फोर्स बनाना चाहते हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘हमारा धान देश के उन 80 प्रतिशत से अधिक छोटे किसानों पर है, जिनको हमारी सबसे अधिक ज़रूरत है। बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण पक्ष है- डिजिटल कृषि। यह हमारा भविष्य है। डिजिटल टेक्नॉलॉजी से कैसे हम किसान को सशक्त कर सकते हैं, इसके लिए भारत में प्रयास निरंतर बढ़ रहे हैं।''
मोदी ने कहा कि भारत का लक्ष्य सिर्फ खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना नहीं है। विश्व के एक बड़े खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को चलाने के लिए भारत के पास पर्याप्त अतिरिक्त खाद्यान्न है। उन्होंने कहा, ‘‘हम खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस द्दष्टि से, हमने पिछले 7 वर्षों में कई जैव-फोटिर्फाइड किस्मों को विकसित किया है। इस अवसर पर तेलंगाना की राज्यपाल श्रीमती तमिलिसाई सुंदरराजन, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी तथा इक्रीसैट के अधिकारी और वैज्ञानिक उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने परिसर में पादप संरक्षण पर इक्रीसैट की जलवायु परिवर्तन अनुसंधान सुविधा और रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट सुविधा का भी उद्घाटन किया। ये दो सुविधाएं एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के छोटे किसानों को समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान ने पास पांच दशकों का अनुभव है जिसमें इसने भारत सहित दुनिया के एक बड़े हिस्से में कृषि क्षेत्र की मदद की है।यहां के अनुसंधन और यहां विकसित प्रौद्योगिकी ने कृषि जलवायु संबंधी कठोर परिस्थितियों में भी खेती को आसान और पारिस्थितिकी की द्दष्टि से अनुकूल बनाने में सहायक बनी है। उन्होंने यहां के वैज्ञनिकों से अगले 25 वर्षों के महत्व को रेखांकित करते हुए, प्रधान मंत्री ने नए लक्ष्यों और उनके लिए काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दुनिया से इस पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है। भारत ने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को 2070 तक निवल रूप से शून्य करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा,‘‘हमने लाइफ (एलआईएफई)- यानी जीवन शैली पर्यावरण के लिए अपने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया है।'' उन्होंने कहा कि प्रो-प्लानेट-पीपूल (धरती के लिए काम करने वाले लोग) एक ऐसा मूवमेंट है जो जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए हर समुदाय के लोगों को जिम्मेदारी से जोड़ता है।
मोदी ने कहा कि भारत में 15 कृषि जलवायु अंचल हैं। हमारे यहां, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर, ये छह ऋतुएं भी होती हैं। हमारे पास एग्रीकल्चर से जुड़ा बहुत विविध और बहुत प्राचीन अनुभव है। अपने किसानों को बचाने के लिए हमारा ध्यान पुरानी सीख और भविष्य की दिशा में प्रगति के बीच तालमेल बिठाने पर है।