PM की बैठक में ममता नहीं हुई शामिल, धनखड़ बोले- लोक सेवा पर हावी हो गया अहंकार
punjabkesari.in Tuesday, Jun 01, 2021 - 03:28 PM (IST)
नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने चक्रवात ‘‘यास’’ के कारण हुए नुकसान की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल नहीं होने को लेकर मंगलवार को यह कहते हुए नया विवाद छेड़ दिया कि ‘‘लोक सेवा पर अहंकार हावी हो गया है।’’ राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल के बयान को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री चौबीसों घंटे जनसेवा में लगी हैं और राज्य के हितों को लेकर अपनी चिंता के मद्देनजर हर कदम उठाती हैं।
धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के कलाईकुंडा में एक बैठक से पहले उनसे बात की थी और संकेत दिया था कि यदि विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी इसमें मौजूद होंगे, तो वह इसमें शामिल नहीं होंगी।धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘‘मुख्यमंत्री ने 27 मई को रात 11 बजकर 16 मिनट पर संदेश दिया, ‘क्या मैं बात कर सकती हूं, अत्यंत आवश्यक है’।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट किया, ‘‘इसके बाद उन्होंने फोन पर संकेत दिया कि यदि विधायक शुभेंदु अधिकारी प्रधानमंत्री की चक्रवात यास संबंधी समीक्षा बैठक में शामिल होंगे, तो वह और अन्य अधिकारी इसका बहिष्कार करेंगे।
Constrained by false narrative to put record straight: On May 27 at 2316 hrs CM @MamataOfficial messaged “may i talk? urgent”.
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) May 31, 2021
Thereafter on phone indicated boycott by her & officials of PM Review Meet #CycloneYaas if LOP @SuvenduWB attends it.
Ego prevailed over Public service
लोक सेवा पर अहंकार हावी
लोक सेवा पर अहंकार हावी हो गया।’ बैठक में अधिकारी, धनखड़ के अलावा भाजपा सांसद देबश्री चौधरी भी मौजूद थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने बैठक में इसलिए भाग नहीं लिया, क्योंकि ‘‘प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में भाजपा के किसी विधायक के उपस्थित होने का कोई मतलब नहीं है’’। अधिकारी ने बनर्जी को हालिया विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से हराया था।
ममता ने पत्र लिखकर दी सफाई
बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा था, ‘‘मैं सिर्फ आपसे बात करना चाहती थी, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आम तौर पर जिस तरह से बैठक होती है उसी तरह से, लेकिन आपने अपने दल के एक स्थानीय विधायक को भी इस दौरान बुला लिया जबकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में उनके उपस्थित रहने का कोई मतलब नहीं था।’’ बनर्जी ने पत्र में यह भी उल्लेख किया था कि उन्हें बैठक में राज्यपाल और अन्य केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति पर कोई आपत्ति नहीं थी।
At the Review Meet by PM #CycloneYaas to assess damage caused. CM and officials @MamataOfficial did not participate.
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) May 28, 2021
Such boycott bot in consonance with constitution and federalism.
Certainly by such actions neither public interest nor interest of state has been served. pic.twitter.com/59P11OBaAe
सौगत रॉय ने धनखड़ के ट्वीट पर प्रतिक्रिया
वरिष्ठ तृणमूल नेता एवं लोकसभा सदस्य सौगत रॉय ने धनखड़ के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘राज्यपाल को इस तरह की बात करने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री राज्य के हित के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। उन्हें पता है कि क्या करना चाहिए।’’ इससे पहले तृणमूल नेता एवं राज्य की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने सोमवार को कहा था कि बनर्जी को 28 मई को प्रधानमंत्री के साथ बैठक के लिए 30 मिनट इंतजार करना पड़ा था। भट्टाचार्य ने कहा था, ‘‘प्रधानमंत्री से मिलने के बाद बनर्जी ने चक्रवात यास के कारण हुए नुकसान की जानकारी संबंधी दस्तावेज सौंपे और फिर पूर्व मेदिनीपुर जिले में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उनसे बैठक से जाने की अनुमति मांगी।’’
बंदोपाध्याय की सेवा को लेकर केंद्र और राज्य के बीच तनातनी
कलाईकुंडा प्रकरण के बाद, मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की सेवा को लेकर केंद्र और राज्य के बीच तनातनी एक बार फिर देखने को मिली। बंदोपाध्याय बैठक के लिए मुख्यमंत्री के साथ आए थे। पश्चिम बंगाल काडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय 60 वर्ष के होने पर सोमवार को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन केंद्र ने मौजूदा कोविड-19 महामारी के प्रबंधन में उनके काम को देखते हुए उन्हें पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के रूप में तीन महीने का कार्य विस्तार दिया था।
इसके बाद, केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई को बंदोपाध्याय की सेवाएं मांगी थीं और राज्य सरकार को प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था। बनर्जी ने इस मामले पर सोमवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और बंदोपाध्याय को सेवानिवृत्त होने की अनुमति देने के बाद उन्हें तीन साल के लिए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया।