दिल्ली में रोक के बावजूद लोगों ने पटाखे जलाकर मनाई दिवाली, वायु गुणवत्ता में गिरावट
punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2024 - 12:59 AM (IST)
नई दिल्लीः दिल्ली का आसमान बृहस्पतिवार की रात उस समय जगमगा उठा, जब लोगों ने पटाखों पर लगी रोक को धत्ता बताकर बड़े पैमाने पर पटाखे जलाकर दिवाली मनाई। लाजपत नगर, कालकाजी, छतरपुर, ईस्ट ऑफ कैलाश, साकेत, रोहिणी, द्वारका, पंजाबी बाग, विकास पुरी, दिलशाद गार्डन, बुराड़ी और पूर्वी एवं पश्चिमी दिल्ली के अन्य इलाकों में बड़े पैमाने पर पटाखे जलते हुए देखे गए।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के समीर ऐप द्वारा घंटावार जारी राष्ट्रीय एक्यूआई के मुताबिक रात नौ बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 327 दर्ज किया गया। शहर के अलीपुर, आनंद विहार, अशोक विहार, आया नगर, बवाना, बुराड़ी, मथुरा रोड, इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, द्वारका, जहांगीरपुरी, मुंडका, नरेला, पटपड़गंज, रोहिणी, शादीपुर, सोनिया विहार, वजीरपुर, मंदिर मार्ग, नेहरू नगर, नजफगढ़ और अन्य मौसम निगरानी केंद्रों पर वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' दर्ज की गई। दिल्ली में शाम चार बजे 24 घंटे का औसत एक्यूआई 328 रहा जो दिवाली पर दिल्ली में पिछले तीन वर्षों में सबसे खराब वायु गुणवत्ता है।
पिछले चार साल की तरह इस साल भी सरकार ने दिल्ली में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की है। दिल्ली में लोग बृहस्पतिवार की सुबह जब जगे, तो आसमान में धुंध की मोटी चादर छाई देखी। राष्ट्रीय राजधानी के आनंद विहार में हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में दिवाली के दिन आसमान साफ था और धूप खिली रही थी। एक्यूआई 218 दर्ज किया गया था जबकि 2022 में 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 एक्यूआई दर्ज किया गया था। पिछले साल पराली जलाने की घटनाओं में कमी, दिवाली से पहले बारिश तथा अनुकूल मौसमी संबंधी परिस्थितियों के कारण त्योहार के बाद राष्ट्रीय राजधानी ‘‘गैस चैंबर'' में तब्दील होने से बच गई थी।
सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक रात आठ बजे प्रदूषक पीएम 2.5 का स्तर 144 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। पीएम 10 का स्तर 273 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। पीएम 2.5 एक सूक्ष्म कण है जो श्वसन तंत्र में गहराई तक प्रवेश कर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं, जबकि पीएम 10 एक ऐसा कण है जिसका व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। हवा में मौजूद ये सूक्ष्म ठोस या तरल कण सांस के माध्यम से फेफड़ों में जा सकते हैं। दिल्ली के पड़ोसी शहरों जैसे फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और नोएडा में वायु गुणवत्ता थोड़ी बेहतर रही तथा यह ‘खराब' श्रेणी में दर्ज की गई।
मौसम विभाग द्वारा तय पैमाने के मुताबिक, शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा', 51 से 100 को ‘संतोषजनक', 101 से 200 को ‘मध्यम', 201 से 300 को ‘खराब', 301 से 400 को ‘बहुत खराब' तथा 401 से 500 को ‘गंभीर' माना जाता है। दिवाली की पूर्व संध्या पर, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने घोषणा की थी कि राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध क्रियान्वित करने के लिए 377 टीम गठित की गई हैं। उन्होंने कहा कि जागरूकता फैलाने के लिए अधिकारी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए), बाजार संघों और सामाजिक संगठनों के संपर्क में हैं। पुलिस टीम यह सुनिश्चित करने के लिए गठित की गई हैं कि पटाखे न जलाए जाएं।
एक अधिकारी ने बताया,‘‘पटाखे जलाते पाये जाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की संबंधित धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है।'' दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के विश्लेषण के अनुसार, शहर में एक से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।