Free bus सेवा के बावजूद Delhi की महिलाओं की यात्रा में आई समस्याएं, जानें क्या हैं असुरक्षा और असुविधाओं के कारण

punjabkesari.in Wednesday, Jan 15, 2025 - 12:21 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली सरकार द्वारा अक्टूबर 2019 में शुरू की गई फ्री बस सेवा महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हुई है। यह सेवा दिल्ली की महिलाओं को बिना किसी किराए के बसों में यात्रा करने की सुविधा देती है। इसका उद्देश्य महिलाओं को यात्रा करने में अधिक स्वतंत्रता और आराम देना था, ताकि वे बिना किसी आर्थिक चिंता के अपनी दैनिक यात्रा कर सकें। हालांकि, इस योजना ने महिलाओं के लिए कई फायदे सुनिश्चित किए हैं, लेकिन साथ ही कई समस्याएं और चुनौतियां भी उत्पन्न हुई हैं, जिनका समाधान अभी तक पूरी तरह से नहीं किया जा सका है।

फ्री बस सेवा ने जीवन को बहुत सरल बना दिया
सुरेखा देवी, जो 62 वर्ष की हैं और 50 वर्षों से दिल्ली में रह रही हैं, बताती हैं कि फ्री बस सेवा ने उनके जीवन को बहुत सरल बना दिया है। सुरेखा देवी का कहना है, "मैं अकेली रहती हूं और घर में कोई कमाने वाला नहीं है, इस वजह से मुझे हमेशा यात्रा करने में कठिनाई होती थी। अब मैं फ्री बस सेवा का इस्तेमाल करती हूं, जिससे मेरा बहुत पैसा बचता है। पहले मैं रोजाना कम से कम 40 रुपये का किराया देती थी, लेकिन अब यह पैसा मेरे किसी और काम आता है।" उनके लिए यह सेवा केवल सुविधा नहीं बल्कि आर्थिक मदद भी है, जो उनकी अन्य जरूरतों को पूरा करने में सहायक होती है।

PunjabKesari

गरिमा और भूमि का अनुभव
गरिमा, जो एक 19 वर्षीय छात्रा हैं और कनॉट प्लेस स्थित एक प्राइवेट इंस्टिट्यूट में डी.एल. एड की पढ़ाई कर रही हैं, इस सेवा के बारे में बताती हैं, "हमारे पास जब पैसे होते हैं तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन जब पैसे नहीं होते तो यह फ्री टिकट हमारी बहुत मदद करता है। अब मैं किताबें खरीद सकती हूं या कुछ खा सकती हूं, जो पहले मैं नहीं कर पाती थी।" गरिमा की तरह भूमि, जो 17 वर्ष की हैं और कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा कर रही हैं, भी इस योजना को बेहद सहायक मानती हैं। भूमि कहती हैं, "पहले हमें हमेशा बस का किराया सोचना पड़ता था, लेकिन अब यह चिंता खत्म हो गई है।"

बसों में सुरक्षा की समस्या
हालांकि फ्री बस सेवा के फायदे तो हैं, लेकिन सुरक्षा की समस्या अब भी महिलाओं के लिए एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है। कई महिलाएं और यात्री इस बात की शिकायत करती हैं कि बसों में पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं हैं। खासकर जब महिलाओं के लिए बसों में तैनात मार्शल की बात आती है। नवंबर 2023 में दिल्ली सरकार ने बसों में तैनात करीब 10,000 सिविल डिफेंस वालंटियर्स को हटा दिया था, जिनका मुख्य कार्य महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। इसके बाद से कई महिला यात्रियों ने सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। खजान सिंह, जो अपनी 80 वर्षीय पोती को रोज़ कॉलेज छोड़ने और लाने के लिए बस में यात्रा करते हैं, कहते हैं, "पहले जब मार्शल होते थे, तो हमें थोड़ा आराम होता था, लेकिन अब उनका न होना एक बड़ी समस्या बन गई है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए बसों का माहौल अब बहुत खतरनाक हो गया है।" यह स्थिति महिलाओं के लिए असुरक्षित हो सकती है, खासकर रात के समय, जब बसों में यात्री कम होते हैं और मार्शल की अनुपस्थिति उन्हें असुरक्षित महसूस कराती है।

PunjabKesari

महिला यात्रियों के अनुभव
गरिमा जैसी कई महिलाएं यह महसूस करती हैं कि जब बसों में मार्शल नहीं होते, तो असुरक्षा की भावना पैदा होती है। वह बताती हैं, "रात के समय, जब बसें खाली होती हैं और कोई मार्शल नहीं होते, तो हमें डर लगता है। लेकिन जब मार्शल होते हैं, तो हम काफी सुरक्षित महसूस करते हैं।" इस प्रकार की चिंता सिर्फ गरिमा की नहीं है, बल्कि कई महिलाओं की है जो सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करती हैं। सुगंधी, जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में काम करती हैं, ने भी बताया, "फ्री बस सेवा के बावजूद, कई बार कंडक्टर और ड्राइवर महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं। कभी-कभी, ड्राइवर महिलाओं के लिए बस रोकने से मना कर देते हैं, जबकि पुरुषों के लिए वे रुकते हैं। यह महिलाओं के लिए बहुत असहज स्थिति बन जाती है।"

कामकाजी महिलाओं के लिए फायदेमंद
कई कामकाजी महिलाएं इस फ्री बस सेवा का पूरी तरह से लाभ उठा रही हैं। कांता देवी, जो राउज एवेन्यू कोर्ट में काम करती हैं, कहती हैं, "अब मुझे रोजाना बस का किराया नहीं देना पड़ता, जिससे मेरे बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे बचते हैं। यह सेवा बहुत मददगार है और यात्रा करना भी अब बहुत सुविधाजनक हो गया है।" सुगंधी भी इस बात को मानती हैं कि फ्री बस सेवा के कारण उनका यात्रा खर्च कम हो गया है, जिससे वह अपने परिवार की अन्य जरूरतों पर अधिक ध्यान दे सकती हैं।

PunjabKesari

ड्राइवरों की सफाई
जब ड्राइवरों और कंडक्टरों से महिलाओं के आरोपों के बारे में पूछा गया, तो उनका कहना था कि इस प्रकार के आरोप गलत हैं। रविंदर, जो एक डीटीसी बस के ड्राइवर हैं, कहते हैं, "महिलाओं के लिए हम हमेशा बस रोकते हैं, किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते।" इसके अलावा, कंडक्टर रमेश ने भी कहा, "हम ड्राइवरों के ऊपर किलोमीटर का टार्गेट होता है, इसलिए कभी-कभी महिलाओं के लिए रुकने का वक्त नहीं मिल पाता। लेकिन इस वजह से उनका टिकट न देना या बस में भेदभाव करना, यह बिल्कुल गलत है।" इस प्रकार, ड्राइवरों और कंडक्टरों का कहना है कि वे हमेशा अपने काम में ईमानदारी से काम करते हैं, और किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते।

रिजर्व सीटों पर समस्याएं
महिलाएं यह भी बताती हैं कि अक्सर पुरुष महिलाएं के रिजर्व सीटों पर बैठ जाते हैं। जब उनसे उठने को कहा जाता है, तो वे विरोध करते हैं। सुगंधी ने इस पर कहा, "यहां तक कि पुरुषों के लिए तो सीटें खाली करने में डर लगता है, क्योंकि वे अक्सर बुरा भला कहते हैं।" यह स्थिति महिलाओं के लिए असहज होती है और कई बार उनकी यात्रा को परेशानी का कारण बनती है।

PunjabKesari

महिलाओं की संख्या 46% तक बढ़ी
2023-24 में पिंक पास के माध्यम से यात्रा करने वाली महिलाओं की संख्या 46% तक बढ़ी है, जो यह दर्शाता है कि फ्री बस सेवा ने महिलाओं के लिए यात्रा को अधिक सुलभ और आकर्षक बना दिया है। हालांकि, कुछ महिलाएं, खासकर कार्यरत महिलाएं, फ्री टिकट का उपयोग करने में संकोच करती हैं और वे पैसे देकर टिकट खरीदने को प्राथमिकता देती हैं। दिल्ली की महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा ने उन्हें यात्रा की स्वतंत्रता दी है, लेकिन कुछ समस्याएं अब भी बनी हुई हैं, जैसे मार्शल की कमी, असुरक्षा की भावना, और बस ड्राइवरों द्वारा भेदभाव। इसके अलावा, रिजर्व सीटों पर पुरुषों का कब्जा और महिलाओं को सीटों से उठाने में डर जैसी समस्याएं भी हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार को और अधिक सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि महिलाएं पूरी तरह से सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस कर सकें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Related News