''मैं खाने के लिए अनजान लोगों पर निर्भर रहता हूं...'', युवराज सिंह के पिता योगराज ने क्यों कही ये बड़ी बात
punjabkesari.in Monday, Nov 17, 2025 - 06:52 PM (IST)
नेशनल डेस्क : पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज और अभिनेता योगराज सिंह ने हाल ही में अपने जीवन के अकेलेपन और व्यक्तिगत संघर्षों को लेकर खुलकर बातचीत की है। 62 वर्षीय योगराज सिंह, जो युवराज सिंह के पिता और एक मशहूर कोच भी हैं, ने अपने हालिया इंटरव्यू में बताया कि अब वे अपने गृहनगर में अकेले समय बिताते हैं और जीवन में देखने या अनुभव करने के लिए कुछ खास नहीं बचा है।
अकेलेपन और भावनात्मक संघर्ष
योगराज ने अपने अकेलेपन का खुलासा करते हुए कहा, 'मैं शाम को अकेला बैठता हूं। घर में कोई नहीं है और खाने के लिए अनजान लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है। कभी कोई दे देता है, कभी कोई और। मैं किसी को परेशान नहीं करता। अगर मुझे भूख लगती है तो कोई न कोई खाना दे देता है।' उन्होंने यह भी कहा कि उनके घर में पहले नौकर और कुक रहते थे, जो सेवा करके चले गए। उन्होंने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा, 'मैं अपनी मां, बच्चों, बहू और पोते-पोतियों से बहुत प्यार करता हूं, लेकिन किसी से कुछ नहीं मांगता। मेरा जीवन पूरा हो चुका है। जब भी भगवान चाहें, वे मुझे अपने साथ ले जाएं। मैं उनके आभारी हूं और प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे हमेशा देते रहें।'
योगराज सिंह का निजी जीवन
योगराज का निजी जीवन उतना ही चर्चित रहा है जितना उनका क्रिकेट करियर। उन्होंने पहली शादी शबनम कौर से की, जिनसे उन्हें दो बेटे, युवराज और ज़ोरावर हुए। यह शादी लगातार झगड़ों के कारण टूट गई। खुद युवराज ने बताया था कि उन्होंने अपने माता-पिता को तलाक लेने की सलाह दी, क्योंकि घर में हमेशा विवाद चलता रहता था। इसके बाद योगराज ने दूसरी शादी नीना बुंधेल (सतबीर कौर के नाम से भी जानी जाती हैं) से की, जिनसे उन्हें एक बेटा विक्टर और एक बेटी अमरजोत हुई।
योगराज को सबसे बड़ा सदमा
योगराज ने बताया कि उनके जीवन का सबसे बड़ा झटका तब लगा जब शबनम और युवराज उनका घर छोड़कर चले गए। उन्होंने कहा, 'मैं पूरी तरह असहाय महसूस कर रहा था और समझ नहीं पा रहा था कि जिन्हें मैं इतना प्यार करता था, वे मुझे क्यों छोड़कर चले गए। जिस औरत के लिए मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी दे दी, वह भी मुझे छोड़कर चली गई।'
योगराज ने यह भी साझा किया कि उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने कहा, 'अब अक्सर सोचता हूं कि बुढ़ापे में मेरे साथ कोई क्यों नहीं है। यह भगवान का खेल था। बहुत गुस्सा और बदले की भावना भी थी। फिर क्रिकेट आया, लेकिन बीच में रुक गया। यूवी को क्रिकेट सिखाया, वह खेला और चला गया। फिर मैंने दूसरी शादी की, दो बच्चे हुए और वे भी अमेरिका चले गए। कुछ फिल्में आईं, समय बीत गया और मैं वहीं आ गया जहां से शुरू किया था। मैं खुद से पूछता हूं कि मैंने यह सब क्यों किया? क्या आज मेरे साथ कोई है? यह होना था और अच्छे के लिए हुआ।'
