''बॉर्डर पर शांति बनाए रखना दोनों देशों के हित में'', रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का चीन को बड़ा संदेश
punjabkesari.in Friday, Jun 27, 2025 - 01:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क : शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री डोंग जुन के बीच अहम मुलाकात हुई। यह बैठक चीन के क़िंगदाओ शहर में आयोजित की गई थी। मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और चीन को किसी भी तरह के नए तनाव से बचना चाहिए और सीमा पर शांति बनाए रखना दोनों देशों के हित में है।
छह साल बाद फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा
इस बातचीत के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर भी चर्चा हुई। यह यात्रा पिछले छह वर्षों से स्थगित थी। राजनाथ सिंह ने जानकारी दी कि अब इस धार्मिक यात्रा को दोबारा शुरू किया जा रहा है। गौरतलब है कि 2020 में कोविड-19 महामारी की वजह से यह यात्रा रोक दी गई थी। इसके बाद गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच सैन्य संघर्ष के कारण इसे फिर से शुरू नहीं किया जा सका। अब जब दोबारा बातचीत का दौर शुरू हो रहा है, तो यात्रा के पुनः आरंभ को एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
Held talks with Admiral Don Jun, the Defence Minister of China, on the sidelines of SCO Defence Minitsers’ Meeting in Qingdao. We had a constructive and forward looking exchange of views on issues pertaining to bilateral relations.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 27, 2025
Expressed my happiness on restarting of the… pic.twitter.com/dHj1OuHKzE
भारत ने फिर दोहराया अपना रुख
राजनाथ सिंह की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पूरी तरह सुलझा नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा कि सीमाओं पर अमन और स्थिरता बनाए रखना ज़रूरी है। दोनों देशों को किसी भी प्रकार की टकराव की स्थिति से बचना चाहिए।
चीन को दी मधुबनी पेंटिंग की भेंट
मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री को बिहार की पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग भेंट की। इस कला को मिथिला पेंटिंग भी कहा जाता है, जो बिहार के मिथिला क्षेत्र में प्रचलित है। यह चित्रकला अपनी बारीक डिज़ाइन, चमकीले रंगों और पारंपरिक जनजातीय आकृतियों के लिए जानी जाती है।
SCO दस्तावेज़ पर भारत ने नहीं किए हस्ताक्षर
SCO रक्षा मंत्रियों की इस बैठक में जब एक साझा दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर की बारी आई, तो राजनाथ सिंह ने उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, दस्तावेज़ में आतंकवाद जैसे अहम मुद्दे को कमजोर रूप में प्रस्तुत किया गया था, जो भारत की सख्त नीति के विपरीत था। इसी कारण भारत ने इसमें भाग नहीं लिया।