नि‍र्भया के दोषियों को डेथ वारंट जारी, अब भी बचा है कानूनी विकल्प

punjabkesari.in Tuesday, Jan 07, 2020 - 06:31 PM (IST)

नेशनल डेस्कः निर्भया गैंगरेप के मामले में निचली अदालत ने मंगलवार को डेथ वारंट जारी कर दिया है। अब दोषियों की गर्दन फांसी के फंदे से ज्यादा दूर नहीं है। हालांकि, दोषियों के पास अब भी कानूनी विकल्प खुले हुए है, लेकिन इसके जरिए वह ज्यादा दिनों तक फांसी से बच नहीं पाएंगे। जिस तरह बीते दिनों एक ही दिन में सुनवाई करके सुप्रीम कोर्ट ने एक दोषी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। उससे साफ है कि अगर दोषी कानूनी विकल्प के लिए जाते हैं, तब भी उन्हें ज्यादा दिनों तक राहत नहीं मिलने वाली।
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निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च अदालत तक दोषियों को कोई राहत नहीं मिली है। आइए जानते हैं कि किस-किस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद सभी चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। युवती से सामूहिक दुष्कर्म मामले में निचली अदालत ने नाबालिग को तीन साल के लिए बाल सुधार गृह में भेजने की सजा सुनाई थी, जबकि अन्य चार दोषियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी की सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों की चुनौती याचिका खारिज कर फांसी की सजा बरकरार रखा था।
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पुनर्विचार याचिका हो चुकी है खारिज
सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोषियों के पास पुर्नविचार याचिका का विकल्प होता है। इस पर सुनवाई चैंबर के अंदर ही होती है। सुनवाई करके इस पर तत्काल फैसला किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दोषी अक्षय द्वारा दायर की गई पुर्नविचार याचिका को 18 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि फैसले पर पुनिर्वचार करने का कोई आधार नहीं है। ऐसे में अब पुर्नविचार याचिका का विकल्प नहीं है।
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उपचारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पिटीशन) का प्रयोग कर सकता है दोषी
पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा डेथ-वारंट जारी होने के बाद अब दोषियों के पास उपचारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पिटीशन) दायर करने का विकल्प खुला है। उपचारात्मक याचिका के लिए कोई समयसीमा का प्रावधान नहीं है। यह याचिका फांसी की सजा देने से एक दिन पहले तक सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा सकती है। यह याचिका किसी वरिष्ठ अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय वरिष्ठ न्यायमूर्तियों की पीठ के समक्ष ही दाखिल की जा सकती है। याचिका पर सुनवाई करने या नहीं करने का फैसला तीन सदस्यीय पीठ बहुमत के आधार पर करती है।
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दया याचिका
फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोषी सजा के लागू होने से एक दिन पहले तक राष्ट्रपति के समक्ष 14 दिन के अंदर दया याचिका दायर कर सकता है। दया याचिका को गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है और इस पर अंतिम निर्णय राष्ट्रपति को लेना होता है। अब यह राष्ट्रपति के विवेक पर है कि वे दया याचिका को स्वीकार करते हैं या नहीं।
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क्या होता है ब्लैक वारंट
दोषियों को सजा देने के लिए उसका दिन और समय तय करने के संबंध में संबंधित जिला के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा ब्लैक वारंट जारी किया जाता है। इस संबंध में जेल प्रशासन की तरफ से मजिस्ट्रेट के समक्ष आग्रह पत्र दायर किया जाता है। आग्रह पत्र पर जेल प्रशासन द्वारा सुझाव के तौर पर दी गई तिथि एवं समय पर मजिस्ट्रेट अपने स्वविवेक से मुहर लगाता है और इसके बाद सजा की तिथि एवं समय तय कर दिया जाता है। डेथ-वारंट जारी करने के 14 दिन के अंदर फांसी देने का प्रावधान है। 


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Yaspal

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