तीन वर्षीय बच्ची के दुष्कर्मी ताऊ को फांसी की सजा, कोर्ट ने कहा- ''यह हवस नहीं, दरिंदगी है''
punjabkesari.in Tuesday, Aug 06, 2024 - 12:02 PM (IST)
नेशनल डेस्क. तीन साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में उसके सगे ताऊ (पिता के बड़े भाई) को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। यह घटना 28 जुलाई, 2020 को हुई थी, जब दुष्कर्मी ने बच्ची को कुछ खिलाने के बहाने से अपने पास बुलाया और उसके साथ घिनौना अपराध किया।
अपर सत्र न्यायाधीश (पाक्सो) मोहम्मद नसीम ने इस मामले में फैसला सुनाते समय रामचरित मानस की एक चौपाई का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है, "अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु = सठ कन्या सम ए चारी।। इन्हहि कुदृष्टि बिलोकई जोई। ताहि बधे कछु पाप न होई।" इसका मतलब है कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और कन्या ये चारों समान हैं। इन्हें बुरी दृष्टि से देखने पर उसे सजा देने में कोई पाप नहीं होता।
कोर्ट ने कहा कि बच्ची के साथ ऐसा घृणित अपराध करने वाला व्यक्ति नर-पिशाच जैसा है और उसे तब तक फांसी पर लटकाए रखा जाए, जब तक उसकी जान न निकल जाए। दुष्कर्म के बाद मरणासन्न अवस्था में मिली बच्ची की जान बचा ली गई थी, लेकिन वह अभी भी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है। घटना के बाद बच्ची का मल-मूत्र द्वार एक हो गया, जिससे अब उसे पाइप के जरिये नित्यक्रिया करनी पड़ती है।
कोर्ट की टिप्पणी
"हे भेड़िया, तू नर-पिशाच से भी बुरा है। तूने ऐसा घिनौना कृत्य किया है, जिसे सोचकर भी मैं रातभर सो नहीं सका। बस यही सोचता रहा कि हमारे समाज को क्या हो गया है। एक डायन भी कम से कम सात घर छोड़कर अपना शिकार करती है। लेकिन तूने मासूम बच्ची को अपना शिकार बनाया, जो तुझे बड़े पापा कहती थी। यह हवस नहीं, दरिंदगी है। तूने ऐसी बच्ची को अपना शिकार बनाया, जिसका वजन सिर्फ 11 किलो था और लंबाई तीन फीट थी। उस मासूम का हर हिस्सा तेरी दरिंदगी का शिकार हुआ। मेरे हिसाब से इससे बड़ा और कोई अपराध नहीं हो सकता।"