धरती की रफ्तार बढ़ने वाली है! वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा – दिन होंगे 24 घंटे से भी छोटे!

punjabkesari.in Thursday, Jul 10, 2025 - 04:23 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  आने वाले कुछ हफ्तों में पृथ्वी कुछ खास दिनों पर सामान्य से तेज घूमेगी, जिससे हमारे दिन कुछ मिलीसेकंड छोटे हो जाएंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक, 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त 2025 को पृथ्वी की गति थोड़ी तेज होगी, और इन दिनों की लंबाई सामान्य से 1.3 से 1.51 मिलीसेकंड तक कम हो सकती है।

क्यों होते हैं दिन छोटे?
एक दिन की लंबाई तय होती है पृथ्वी के एक पूरा चक्कर लगाने से — यानी लगभग 86,400 सेकंड या 24 घंटे। लेकिन पृथ्वी की यह घूर्णन गति पूरी तरह स्थिर नहीं होती। यह कई कारकों से प्रभावित होती है, जैसे:

सूर्य और चंद्रमा की स्थिति
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र
पृथ्वी पर द्रव्यमान (mass) का असंतुलन

विशेषज्ञों का कहना है कि जब चंद्रमा पृथ्वी के भूमध्य रेखा (equator) से दूर होता है और ध्रुवों के करीब होता है, तब उसका गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के घूमने की गति को तेज कर देता है। ये स्थिति एक घूमते हुए लट्टू की तरह है — अगर आप लट्टू को उसकी मध्य रेखा से पकड़कर घुमाएं, तो वह धीरे घूमेगा, लेकिन अगर आप उसे ऊपर-नीचे से पकड़कर घुमाएं तो वह तेज घूमेगा।

पृथ्वी की गति में बदलाव: एक पुरानी कहानी
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि 1 से 2 अरब साल पहले पृथ्वी का एक दिन सिर्फ 19 घंटे का हुआ करता था। उस समय चंद्रमा पृथ्वी के बहुत करीब था, जिससे पृथ्वी तेजी से घूमती थी। लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे चंद्रमा दूर होता गया, पृथ्वी की गति धीमी होती गई और दिन लंबे होते गए।

हालांकि हाल के वर्षों में पृथ्वी की यह धीमी होती गति में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। 2020 में वैज्ञानिकों ने बताया था कि पृथ्वी की घूर्णन गति 1970 के बाद से सबसे तेज हो गई है। और 5 जुलाई 2024 को अब तक का सबसे छोटा दिन रिकॉर्ड किया गया, जो 24 घंटे से 1.66 मिलीसेकंड कम था।

इंसानी गतिविधियों का भी है असर
अब यह केवल खगोलीय घटनाओं तक सीमित नहीं रह गया है। शोध बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियां भी पृथ्वी की घूर्णन गति को प्रभावित कर रही हैं। NASA के वैज्ञानिकों ने पाया है कि 2000 से 2018 के बीच बर्फ और भूमिगत जल के बदलावों ने पृथ्वी की गति को इस तरह बदला कि दिन की लंबाई में प्रति शताब्दी 1.33 मिलीसेकंड की बढ़ोतरी हुई है।

एकल घटनाएं भी असर डाल सकती हैं — जैसे 2011 के जापान भूकंप ने पृथ्वी के दिन को 1.8 माइक्रोसेकंड छोटा कर दिया था।

ऋतुओं का भी प्रभाव
यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल के भू-भौतिक विज्ञानी रिचर्ड होल्म के अनुसार, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में ज़्यादा भूमि है, और गर्मियों में पेड़ों पर पत्ते आने से द्रव्यमान ज़मीन से ऊपर चला जाता है। इससे पृथ्वी की घूर्णन गति धीमी हो जाती है, क्योंकि द्रव्यमान घूमने की धुरी से दूर चला जाता है — ठीक वैसे ही जैसे स्केटर अपने हाथ फैला ले तो उसकी गति धीमी हो जाती है।

घबराइए नहीं... घड़ी की चाल में कोई फर्क नहीं पड़ेगा?
हालांकि पृथ्वी की यह अतिरिक्त रफ्तार रोचक है, लेकिन इसका आम जीवन पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा। हमारे घड़ियों में दिन अब भी 24 घंटे के ही रहेंगे। बदलाव मिलीसेकंड के स्तर पर है, जो इंसान के लिए महसूस करना नामुमकिन है।

जब दिन की लंबाई में 0.9 सेकंड (900 मिलीसेकंड) या उससे ज़्यादा का बदलाव होता है, तब समय की गिनती में बदलाव करना ज़रूरी हो जाता है। यह काम करती है IERS (International Earth Rotation and Reference Systems Service), जो जरूरत पड़ने पर “लीप सेकंड” जोड़ती है ताकि घड़ियों और पृथ्वी की वास्तविक गति में तालमेल बना रहे।


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Content Writer

Anu Malhotra

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