जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का फैसला: बेटियों को पिता की संपत्ति से नहीं किया जा सकता वंचित
punjabkesari.in Friday, Dec 27, 2024 - 09:51 AM (IST)
नेशनल डेस्क. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि इस्लामिक कानून के तहत मुस्लिम बेटी को उसके पिता की संपत्ति से किसी भी कारण से वंचित नहीं किया जा सकता है। कुरान में पहले महिला और फिर पुरुष को वारिस का अधिकार दिया गया है। यह आदेश 43 साल पुराने एक मामले में दिया गया, जिसमें एक महिला को उसके पिता की संपत्ति में हिस्सा देने का आदेश दिया गया।
हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद चटर्जी कौल ने इस फैसले में कहा कि यह मामला मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित है और इसके तहत महिला को संपत्ति का अधिकार है।
43 साल लंबी कानूनी लड़ाई
यह मामला मुनव्वर गनई की बेटी मुख्ती से जुड़ा हुआ है। 43 साल पहले मुख्ती ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अपने पिता की संपत्ति में हिस्से का हक पाने के लिए कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। हालांकि, पहले इसे खारिज कर दिया गया। इस दौरान मुख्ती का निधन हो गया। मुख्ती के निधन के बाद उसके बच्चों ने इस मामले को फिर से कोर्ट में उठाया और यह मामला 1996 में डिवीजन बेंच तक पहुंचा, जहां कोर्ट ने मुख्ती के उत्तराधिकार को मान्यता दी। बावजूद इसके अधिकारियों ने मुख्ती को संपत्ति से बाहर कर दिया। इसके बाद मुख्ती के बच्चों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने मुख्ती के बच्चों के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मुख्ती को उसके पिता की संपत्ति से हिस्सा मिलना चाहिए।
यह फैसला महिला अधिकारों के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, क्योंकि इसे इस्लामिक कानून और महिलाओं के अधिकारों के संदर्भ में एक सशक्त उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।