'हमसे बड़ी गलती हो गई', दर्शन सिंह धालीवाल का दावा-PM मोदी ने 150 लोगों के बीच कही थी यह बात
punjabkesari.in Wednesday, Jan 11, 2023 - 02:19 PM (IST)
नेशनल डेस्क: अमेरिका के डॉ. दर्शन सिंह धालीवाल को मंगलवार को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने सत्र में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार प्रदान किया। डॉ. दर्शन सिंह धालीवाल को व्यापार तथा सामुदायिक कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए पुरस्कार प्रदान किया गया।
वहीं प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार समारोह के दौरान धालीवाल ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अप्रैल में उनसे करीब 150 लोगों के सामने इस बात के लिए खेद जताया था कि उन्हें किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली एयरपोर्ट से वापस अमेरिका भेज दिया गया था।
बता दें कि 23-24 अक्टूबर 2021 की रात को दर्शन सिंह धालीवाल दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे थे लेकिन उन्हें वहीं से ही वापस अमेरिका भेज दिया गया था। दरअसल उनपर आरोप था कि उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था की थी।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से प्रवासी भारतीय सम्मान पाने के बाद धालिवाल ने बातचीत में बताया कि पिछले साल अप्रैल में पीएम मोदी से मुलाकात उस समय हुई थी जब प्रधानमंत्री ने दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास पर एक बड़े सिख प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की थी। डॉ. दर्शन सिंह धालीवाल ने कहा कि उस दौरान 150 लोगों के सामने प्रधानमंत्री ने मुझसे इस बात के लिए खेद जताया था कि मुझे एयरपोर्ट से वापस भेज दिया गया और पीएम मोदी कहा कि हमसे बड़ी गलती हो गई, आपको भेज दिया, पर आपका बहुत बड़ा बड़प्पन है जो आप हमारे कहने पर फिर भी आ गए।
की थी किसानों की मदद
धालीवाल को 23-24 अक्टूबर, 2021 की रात अमेरिका के लिए रिटर्न फ्लाइट में बैठा दिया गया था। घटना को याद करते हुए दर्शन सिंह धालीवाल ने कहा कि एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने उन्हें दो विकल्प दिए- लंगर बंद करो और किसानों के साथ मध्यस्थता करो या फिर वापस जाओ।” क्या उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों के राजनीतिक कारण का भी समर्थन किया के सवाल पर धालीवाल ने कहा कि यह मानवीय था, इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था।
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2020 में जब किसान दिल्ली आए तो आधी रात में बारिश शुरू हो गई। मैंने वीडियो देखे, वो पानी में सो रहे थे, ठंड थी। मुझे लगा कि इन लोगों को मदद की जरूरत है। इसलिए मैंने लंगर लगाने और ठहरने के लिए टेंट मुहैया कराने, बिस्तर, कंबल और रजाई देने का फैसला किया। धालिवाल के अमेरिका में कई फ्यूल स्टेशन्स हैं, वे 1972 में अमेरिका चले गए थे।