9 गोलियां लगने, 2 महीने कोमा में रहने के बाद 'चेतन चीता' ने मौत को किया चित
punjabkesari.in Wednesday, Apr 05, 2017 - 04:32 PM (IST)

श्रीनगरः कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में जख्मी हुए राजस्थान के कोटा निवासी सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन कुमार चीता अब बिल्कुल ठीक हैं। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है कि 9 गोलियां लगने और 2 महीने कोमा में रहने के बाद भी उन्होंने मौत को पराजित कर दिया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू चीता से मिलने आज एम्स के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। सीमा पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले चीता ने मौत को भी मात दे दी। चीता एम्स में भर्ती थे और अब वे डिस्चार्ज होने के लिए तैयार हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में चेतन को 9 गोलियां लगी थीं, जिसके बाद उनके बचने की उम्मीद काफी कम थी।
CRPF officer Chetan Cheeta who was injured during encounter in Bandipora(J&K) to be discharged today from AIIMS, Delhi. pic.twitter.com/BPL15xbTj9
— ANI (@ANI_news) April 5, 2017
डॉक्टर भी इसे कुदरत का करिश्मा ही मान रहे हैं कि वे आज जिंदा हैं। एम्स के ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टर ने बताया कि उन्हें आज (5 अप्रैल) ही डिस्चार्ज किया जा सकता है। 45 वर्षीय चीता को जब यहां लाया गया था तो उनके सिर में गोलियां लगी हुई थीं। उनका ऊपरी अंग बुरी तरह से फ्रैक्चर किया था और दाहिनी आंख फूट गई थी।
एक डॉक्टर ने बताया कि उनका जीसीएस स्कोर (मस्तिष्क की चोट की गंभीरता को मापने वाला टेस्ट) एम 3 था। वह गंभीर कोमा की स्थिति में थे। अब उनका जीसीएस स्कोर एम6 है।
डॉक्टर ने बताया कि वह अब पूरे होश-ओ-हवास में हैं और सभी अहम अंग काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के बांदीपोर जिले के हाजिन इलाके में 3 जवान और एक आतंकवादी मारा गया था और चीता बुरी तरह घायल हो गए थे। सीआरपीएफ के इस कमांडर को सबसे पहले श्रीनगर के मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया था और उन्हें खून रोकने की दवाई दी गई थी लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें एयरलिफ्ट कर एम्स के ट्रॉमा सेंटर लाया गया।
भर्ती होने के 24 घंटे में ही उनकी सर्जरी की गई और खोपड़ी के एक हिस्से को हटा दिया गया ताकि इंट्राक्रेनियल दबाव को कम किया जा सके। चीता को अत्यधिक एंटीबायोटिक्स पर रखा गया था ताकि इन्फेक्शन कम किया जा सके और उनके घावों को भी लगातार साफ किया जाता रहा।
डॉक्टर ने बताया कि एक बार स्थिर होने के बाद कई टीमों को बुलाया ताकि घावों का उपचार किया जा सके। उनकी बाईं आंख को ठीक कर लिया गया लेकिन दाईं आंख ठीक नहीं हो पाई।