कांग्रेस ने पुलवामा हमले पर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह से जवाब मांगा
punjabkesari.in Friday, Sep 20, 2024 - 11:30 PM (IST)
नेशनल डेस्क : राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने पुलवामा आतंकी हमले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा किए गए खुलासे और भ्रष्टाचार के आरोपों पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जवाब मांगा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा अब तक चुप्पी साधे रखने पर चिंता व्यक्त करते हुए तिवारी ने कहा कि यह स्पष्ट संकेत है कि “कुछ गड़बड़ है।” उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “सत्यपाल मलिक को भाजपा सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा था कि खुफिया नाकामी थी और केंद्र सरकार ने सुरक्षाकर्मियों को ले जाने के लिए विमान देने से इनकार कर दिया था जिसके कारण 2019 में विनाशकारी पुलवामा आतंकवादी हमला हुआ।''
तिवारी ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह से मलिक के आरोपों पर स्पष्टता की मांग की, जिनमें जम्मू-कश्मीर में बिजली परियोजनाओं और बीमा योजनाओं से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोप भी शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया, “राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में मलिक के खुलासे चौंकाने वाले हैं। नरेन्द्र मोदी द्वारा नियुक्त मलिक ने खुलासा किया है कि कैसे प्रधानमंत्री ने उन्हें आतंकी हमले के बाद चुप रहने के लिए कहा था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।” तिवारी ने इस बात पर चिंता जताई कि किस प्रकार आरडीएक्स की जम्मू-कश्मीर में तस्करी की गई। इसके साथ ही उन्होंने सुरक्षा चूक पर सरकार की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “ एक राष्ट्र के तौर पर हम प्रधानमंत्री से जवाब मांगते हैं।”
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मलिक को प्रभावशाली व्यापारिक संस्थाओं की सहायता के लिए बड़ी रकम की पेशकश की गई थी, इसका तात्पर्य यह है कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है ताकि भाजपा के सहयोगियों द्वारा इसके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा सके। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की जम्मू-कश्मीर यात्रा से ठीक पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान पर उनकी चुप्पी की भी आलोचना की। तिवारी ने कहा कि भाजपा ने कूटनीतिक जुगलबंदी में शामिल होने का विकल्प चुना है जो “हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करता है।” उन्होंने भाजपा पर कश्मीरी पंडित समुदाय की दुर्दशा को चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया, जबकि मसले का वास्तविक समाधान नहीं पेश किया गया।