कांग्रेस-सीपीआई गठबंधन से त्रिपुरा में विधानसभा की लड़ाई हुई त्रिकोणीय, जानें कौन मार सकता है बाजी

punjabkesari.in Saturday, Feb 04, 2023 - 04:18 PM (IST)

नेशनल डेस्कः त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में नवगठित राजनीतिक दल ‘टिपरा मोथा' के ‘किंगमेकर' (सरकार गठन में अहम भूमिका निभाने वाली पार्टी) के रूप में उभरने की संभावना है और इस चुनाव में उसका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन एवं कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के साथ होगा।

शाही परिवार के पूर्व वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व वाले टिपरा मोथा ने भाजपा या शत्रु से मित्र बनी कांग्रेस और वाम मोर्चे के साथ गठबंधन करने से मना कर दिया, लेकिन उसने ‘ग्रेटर टिपरालैंड' के अलग राज्य की उसकी मांग का समर्थन करने वाले किसी भी दल के साथ चुनाव बाद गठबंधन किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया। टिपरा मोथा ने त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के लिए 2021 में हुए चुनावों में शानदार प्रदर्शन कर निकाय की 30 में से 18 सीट हासिल की थीं। टिपरा मोथा ने विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है और उसे 20 जनजातीय बहुल सीट पर जीत की उम्मीद है।

कुल 60 सदस्यीय विधानसभा वाले पूर्वोत्तर राज्य में ये सीटें बहुत अहम होंगी। सत्तारूढ़ भाजपा ने 55 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और अपनी सहयोगी आईपीएफटी के लिए मात्र पांच सीट छोड़ी हैं। गठबंधन सहयोगी गोमती जिले की अम्पीनगर विधानसभा सीट पर दोस्ताना चुनावी जंग लड़ेंगे, क्योंकि 16 फरवरी को होने वाले चुनावों में आईपीएफटी कुल छह निर्वाचन क्षेत्रों में भाग्य आजमाएगी। भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने 2018 के विधानसभा चुनावों में वाम मोर्चे के 25 साल लंबे शासन को समाप्त कर दिया था। भाजपा ने 10 एसटी (अनुसूचित जनजाति) आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों सहित 36 सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि इसके गठबंधन सहयोगी को आठ सीट पर जीत मिली थी।

बहरहाल, राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, आईपीएफटी ने टिपरालैंड राज्य की अपनी मूल मांग को पूरा करने में विफल रहने के कारण आमजन का समर्थन खोना शुरू कर दिया है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि टिपरा मोथा की लोकप्रियता न केवल इसलिए बढ़ी, क्योंकि उसने अलग राज्य की मांग उठाई, बल्कि इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि जनजातीय समुदाय के लोग तत्कालीन शाही परिवार का अब भी सम्मान करते हैं और वे प्रद्योत देबबर्मा को ‘बुबागरा' या राजा कहकर संबोधित करते हैं। उनका कहना है कि पूर्वोत्तर राज्य के सभी राजनीतिक दल-भाजपा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस ने चुनावी समझौते के लिए देबबर्मा से संपर्क किया था, लेकिन ग्रेटर टिपरालैंड पर टिपरा मोथा के कड़े रुख के कारण अभी तक किसी भी समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

भाजपा नेता और चुनावी रणनीतिकार बलई गोस्वामी ने कहा कि त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में भाजपा के पास टिपरा मोथा और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के मुकाबले बढ़त होगी, क्योंकि भाजपा विरोधी वोट उनके बीच विभाजित हो जाएंगे। वहीं, माकपा के वरिष्ठ नेता पबित्रा कार ने कहा कि टिपरा मोथा और भाजपा के बीच लड़ाई से कांग्रेस-वाम गठबंधन को फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि भाजपा के सहयोगी आईपीएफटी ने पहाड़ियों में अपनी ताकत खो दी है, लेकिन माकपा के जनजातीय क्षेत्रों में अब भी वफादार समर्थक हैं। टिपरा मोथा के प्रवक्ता एंथनी देबबर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी कम से कम 25-26 सीटें जीतकर ‘किंगमेकर' बनकर उभरेगी।

त्रिपुरा विधानसभा के लिए मतदान 16 फरवरी को होगा और मतगणना दो मार्च को की जाएगी। माकपा अकेले 43 सीट पर चुनाव लड़ेगी, जबकि वाम मोर्चा के अन्य घटक-फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और भाकपा, एक-एक सीट पर उम्मीदवार खड़े करेंगे। वाममोर्चा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने 13 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं। टिपरा मोथा ने 42 सीट पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। तृणमूल कांग्रेस 28 सीट पर किस्मत आजमाएगी, जबकि 58 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं।


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Content Writer

Yaspal

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