निर्वाचन आयुक्तों का दौरा टला, विस चुनाव पर संशय गहराया
punjabkesari.in Monday, Jan 28, 2019 - 01:58 PM (IST)
जम्मू (बलराम): जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा के चुनाव देशभर में लोकसभा चुनावों के साथ करवाए जाने को लेकर उत्पन्न हुआ संशय अब और गहरा गया है, क्योंकि विधानसभा चुनाव करवाने संबंधी निर्णय के लिए जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात का आकलन करने मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा एवं निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा के नेतृत्व में आने वाली निर्वाचन आयोग की टीम का दौरा फिलहाल टल गया है। सूत्रों के अनुसार निर्वाचन आयोग की टीम का यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी 3 फरवरी के जम्मू-कश्मीर दौरे के मद्देनजर स्थगित हुआ है। इस मुद्दे पर जब जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी शैलेंद्र कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग की टीम जब आएगी तो तमाम संबंधित व्यक्तियों को सूचित कर दिया जाएगा, फिलहाल ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है।
इससे पहले, देश के सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और मुख्य चुनाव अधिकारियों को लिखे पत्र क्रमांक 437/6/1/आई.एन.एस.टी./ई.सी.आई./एफ.यू.एन.सी.टी./एम.सी.सी./2019 में भारतीय निर्वाचन आयोग केवल आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ करवाने की बात कह चुका है, जबकि इस पत्र में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव करवाने का जिक्र तक नहीं है। दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री एवं राज्यपाल द्वारा राज्य विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ करवाए जाने के प्रति सकारात्मक रुख दर्शाने के बावजूद जब निर्वाचन आयोग ने यह पत्र जारी किया, तभी से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव, लोकसभा चुनावों के साथ न होने को लेकर संशय की स्थिति पैदा हुई थी।
हर कोई लगाने लगा कयास
जम्मू-कश्मीर में हर तरफ इसी मुद्दे पर चर्चा हो रही है कि राज्य विधानसभा के चुनाव देशभर में लोकसभा चुनावों के साथ ही होंगे अथवा इन चुनावों को बाद में करवाया जाएगा। इस संबंध में हर कोई अपने-अपने ढंग से कयास लगाते हुए ऐसी चर्चाओं में भाग लेकर राजनीतिक विश्लेषक बनने का प्रयास कर रहा है।
पार्टियों का बनता-बिगड़ता गणित
विधानसभा के चुनाव देशभर में लोकसभा चुनावों के साथ होंगे तो क्या समीकरण बनेंगे और अलग-अलग होंगे तो क्या समीकरण बनेंगे, तमाम राजनीतिक पार्टियों इसी उधेड़बुन में लगी हैं। फिर राज्य में नए-नए दलों के उभरने से भी इन पार्टियों का गणित बनता-बिगड़ता रहता है। जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, जब तक मत्थापच्ची का सिलसिला इसी तरह जारी रहने की संभावना है।