बढ़ते प्रदूषण पर राज्यसभा में जताई गई चिंता, शहरों पर विशेष ध्यान देने का किया गया आग्रह

punjabkesari.in Friday, Dec 10, 2021 - 04:41 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राज्यसभा में शुक्रवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश में बढ़ते जल, वायु एवं भूमि प्रदूषण पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि चार महानगरों सहित शहरी क्षेत्रों के प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सदस्यों ने यह चिंता प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कांग्रेस की अमी याज्ञनिक के एक निजी संकल्प पर चर्चा करते हुए जतायी। इस संकल्प में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न पक्षों के साथ काम करने के उद्देश्य से एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने और देश में जल, वायु एवं भूमि प्रदूषण की वर्तमान स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार करने हेतु समय सीमा निर्धारित करने की मांग की गयी है। याज्ञनिक ने कहा, ‘‘आज प्रदूषण के कारण हमारे समाज में बच्चों को हृदय और फेफड़ों की समस्याएं हो रही हैं। इन बीमारियों को देखते हुए क्या हम अपने समाज को एक स्वस्थ समाज कह सकते हैं?'' उन्होंने कहा कि सरकार ने विभिन्न स्तर पर प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए विभिन्न नीतियां और कानून बनाए हैं।

किंतु असली समस्या उनके क्रियान्वयन की है। उन्होंने कहा कि हमारी नदियां विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बुरी तरह दूषित हैं और देश की आने वाले नस्लों की भलाई के लिए आवश्यक है कि हमारे समाज को अभी से प्रदूषण को नियंत्रित करने पर गंभीरता से ध्यान देना है। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के शिवप्रताप शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत वर्तमान सरकार ने प्रदूषण से निबटने के लिए समय रहते कई ऐसे कदम उठाये जिनका भविष्य में काफी अच्छा परिणाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रसोई गैस का सिलेंडर प्रदान किया जाना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि दिल्ली, मुंबई सहित चार बड़े महानगरों में बड़ी आबादी के साथ प्रदूषण भी काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए इलेक्ट्रानिक वाहनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज महानगरों में वाहनों के कारण बहुत अधिक वायु प्रदूषण हो रहा है।

शुक्ल ने कहा कि अकेले दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण प्रति वर्ष 30 प्रतिशत लोगों को सांस संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती है। उन्होंने कहा कि आगे चल कर यह समस्याएं मृत्यु का कारण बनती हैं। बीजू जनता दल के डॉ. अमर पटनायक ने कहा कि प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन एक बहुत ही गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि भारत में करीब 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का कृषि क्षेत्र पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि ध्यान दिया जाये तो जलवायु परिवर्तन के कारण देश में गरीबी उन्मूलन की प्रक्रिया धीमी पड़ रही है। पटनायक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवात आने की संख्या बहुत बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि इन चक्रवात के कारण लाखों घर तबाह हो जाते हैं और लोगों को जानमाल का भारी नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने कि इस समस्या से निबटने के लिए हमें केंद्रीयकरण के बजाय स्थानीयता पर जोर देना होगा। गांवों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक ने भी इसकी सिफारिश की है। बीजद सदस्य ने कहा कि देश को तीन ‘‘आर सिद्धांत'' को अपनाना पड़ेगा।

इसमें ‘‘रिड्यूस (घटना)'', ‘‘रियूस (फिर से इस्तेमाल)'' और रिसाइकिल (पुनर्चक्रण) शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपना लालच घटाना होगा।'' समाजवादी पार्टी के विश्वंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि प्रदूषण के कारण खेती और किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि नदियों में बालू के खनन से नदियों और उसमें रहने वाले जीव जंतुओं को इतना नुकसान पहुंच रहा है कि उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अवैध रेत खनन को रोकने के लिए सरकार को एक संयुक्त समिति से समुचित जांच करवानी जानी चाहिए। निषाद ने कहा कि हाल में जब पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप बहुत बढ़ गया था और ऑक्सीजन की बेहद किल्लत हो गयी थी तो ग्रामीण अंचलों में लोग पीपल के पेड़ के नीचे लेटकर ऑक्सीजन प्राप्त करते थे। उन्होंने कहा कि देश के पर्यावरण को बचाया जाना बहुत आवश्यक है।


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Content Editor

Hitesh

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