सीमा विवाद को लेकर CM पेमा खांडू का ड्रैगन को सख्त संदेश, "अरुणाचल की सीमा चीन से नहीं, तिब्बत से लगती है"
punjabkesari.in Wednesday, Jul 09, 2025 - 06:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क : अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चीन के साथ सीमा विवाद पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि राज्य की सीमा वास्तव में चीन से नहीं, बल्कि तिब्बत से लगती है। उन्होंने यह टिप्पणी 'पीटीआई वीडियो' को दिए एक साक्षात्कार के दौरान की। खांडू ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बार-बार बदलने की नीति पर भी निशाना साधा।
"ये नाम बदलने का खेल है"
सीएम खांडू ने कहा कि यह केवल नाम बदलने का खेल है, जबकि हकीकत यह है कि अरुणाचल प्रदेश की करीब 1,200 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा तिब्बत से लगती है, न कि चीन से। उन्होंने साक्षात्कार में कहा, “अगर यह तथ्य अज्ञानतापूर्ण लगे तो दोबारा विचार कीजिए। हम तिब्बत से सीमा साझा करते हैं, चीन से नहीं।” जब उनसे यह कहा गया कि अरुणाचल प्रदेश की चीन के साथ सीमा लगती है, तो उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कहा, “यहां मैं आपकी गलती सुधार दूं। हमारी सीमा तिब्बत से लगती है, चीन से नहीं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि तिब्बत अब आधिकारिक रूप से चीन के अधीन है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र तिब्बत का ही हिस्सा था।
तीन देशों से लगती है अरुणाचल की सीमा
सीएम खांडू ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा तीन देशों से लगती है—भूटान (लगभग 150 किमी), तिब्बत (लगभग 1,200 किमी) और म्यांमार (लगभग 550 किमी)। उन्होंने कहा कि भारत का कोई भी राज्य सीधे तौर पर चीन से सीमा साझा नहीं करता, बल्कि तिब्बत से करता है, जिस पर चीन ने 1950 के दशक में कब्जा कर लिया था।
शिमला समझौते का दिया हवाला
मुख्यमंत्री ने 1914 के शिमला समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि यह भारत-तिब्बत सीमा को स्पष्ट करता है। इस समझौते में ब्रिटिश भारत, चीन और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। खांडू के अनुसार, ऐतिहासिक दस्तावेज यह प्रमाणित करते हैं कि यह भारत और तिब्बत के बीच की सीमा थी।
चीन ने 5 बार बदले नाम
चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बदलने की नीति पर टिप्पणी करते हुए खांडू ने कहा, “मुझे लगता है कि पिछली बार जब उन्होंने नाम बदले थे, वह उनका पांचवां प्रयास था। यह हमारे लिए नया नहीं है। हमें चीन की यह आदत अच्छी तरह पता है।” उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों से विदेश मंत्रालय निपटता है और चीन को उचित जवाब भी दिया गया है।