7 साल बाद PM मोदी की बीजिंग यात्रा से बेहद खुश चीन, बोला-SCO सम्मेलन बनेगा ‘एकजुटता और दोस्ती’ का मंच

punjabkesari.in Saturday, Aug 09, 2025 - 05:09 PM (IST)

International Desk: चीन ने इस महीने के अंत में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के तियानजिन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संभावित यात्रा का शुक्रवार को स्वागत किया। उसने उम्मीद जताई कि यह आयोजन ‘‘एकजुटता, मैत्री और सार्थक परिणामों का समागम'' होगा। दिल्ली में मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने इस सप्ताह बताया कि सात साल के अंतराल के बाद प्रधानमंत्री मोदी इस महीने के अंत में SCO के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा कर सकते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन एससीओ तियानजिन शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करता है। उनसे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोदी की चीन यात्रा की खबरों के बारे में पूछा गया था।

 

चीन 31 अगस्त से एक सितंबर तक तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयास से तियानजिन शिखर सम्मेलन एकजुटता, मैत्री और सार्थक परिणामों का एक संगम होगा, तथा एससीओ अधिक एकजुटता, समन्वय, गतिशीलता और उत्पादकता के साथ उच्च गुणवत्ता वाले विकास के एक नए चरण में प्रवेश करेगा।'' गुओ ने कहा कि एससीओ के सभी सदस्य देशों और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों सहित 20 से अधिक देशों के नेता संबंधित कार्यक्रमों में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि SCO का तियानजिन शिखर सम्मेलन इस संगठन (SCO) की स्थापना के बाद से सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन होगा। मोदी के 29 अगस्त के आसपास जापान की यात्रा पर जाने की उम्मीद है। इसके बाद वह एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीनी शहर तियानजिन जा सकते हैं। मोदी की जापान और चीन की दो देशों की यात्रा की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

 

प्रधानमंत्री मोदी पिछली बार जून 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन आए थे। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर 2019 में दूसरे ‘‘अनौपचारिक शिखर सम्मेलन'' के लिए भारत गए थे। हालाँकि, पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों तल्खी आ गई थी। पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़पों के परिणामस्वरूप संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया। पिछले वर्ष 21 अक्टूबर को हुए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के अंतिम दो टकराव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया।

 

रूस के कजान में 23 अक्टूबर, 2024 को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच हुई बैठक में विभिन्न संवाद तंत्रों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया। दोनों पक्षों ने संबंधों को पुनः सुदृढ़ करने के लिए कई पहल कीं, जिनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू करना तथा नयी दिल्ली द्वारा चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करने की फिर से शुरुआत करना शामिल था। दोनों पक्ष दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवाएं पुनः शुरू करने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा कर रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पिछले दो महीनों में एससीओ बैठकों में भाग लेने के लिए चीन गए थे। चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है।

 

यह अभी स्पष्ट नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक करेंगे या नहीं। उम्मीद है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले शीर्ष नेताओं में शामिल होंगे। भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस से मिलकर बना एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक एवं सुरक्षा समूह है, जो सबसे बड़े अंतरक्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। इसकी स्थापना 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिज़ गणराज्य, कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा की गई थी। पाकिस्तान 2017 में भारत के साथ इसका स्थायी सदस्य बना। ईरान 2023 में और बेलारूस 2024 में इस समूह में शामिल हुआ।  


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Content Writer

Tanuja

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