Marriage Market: इस बाजार में लगता है मियां-बीवी का मेला! खुलेआम होती है पति-पत्नी की खरीदारी, मंडी में होता है दूल्हा-दुल्हन का सौदा
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 05:04 PM (IST)
नेशनल डेस्क। चीन में एक ऐसा अनोखा और अजीबोगरीब बाजार है जहां कपड़ों या सब्जियों का नहीं बल्कि शादी के रिश्तों का सौदा होता है। शंघाई के बीचोंबीच स्थित पीपुल्स पार्क हर वीकेंड एक 'मैरिज मार्केट' में बदल जाता है जहां सैकड़ों माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवनसाथी ढूंढने आते हैं। यह बाजार चीन में बढ़ते सामाजिक असंतुलन और कम होती जन्म दर की गहरी समस्या को दर्शाता है।
छाते और पोस्टरों पर टंगी हैं रिश्तों की उम्मीदें
यह बाजार किसी मेले से कम नहीं लगता लेकिन इसका मकसद पूरी तरह अलग है। यहां सैकड़ों मां-बाप अपने बच्चों की प्रोफाइल वाली ए4 साइज़ की शीट्स को छाते (Umbrellas) या फोल्डिंग बोर्डों पर चिपकाते हैं। इन शीट्स पर लड़के या लड़की की फोटो उम्र, लंबाई, वेतन, नौकरी, शैक्षिक योग्यता और यहां तक कि उनकी हॉबीज तक लिखी होती हैं। माता-पिता यहां दुल्हन के लिए अच्छा घर या दूल्हे के लिए परफेक्ट लड़की तलाशते हैं।

क्यों शुरू हुई यह अजीब परंपरा?
यह अनोखी परंपरा वर्ष 1996 में शुरू हुई थी और इसके पीछे चीन की जनसंख्या नीति मुख्य कारण है:
वन-चाइल्ड पॉलिसी का असर: चीन की एक बच्चे की नीति (One-Child Policy) के कारण लाखों परिवारों ने बेटों को प्राथमिकता दी जिससे समाज में लिंग असंतुलन पैदा हो गया।

4 करोड़ पुरुष अकेले: इसी असंतुलन के चलते आज चीन में करीब 4 करोड़ पुरुष ऐसे हैं जिनके लिए उपयुक्त जीवनसाथी मिलना कठिन हो गया है।
'शेंग नू' का ताना: वहीं जो महिलाएं करियर या आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देती हैं और देर से शादी करती हैं उन्हें समाज द्वारा शेंग नू (Sheng Nu) यानी बची हुई लड़कियां कहकर ताने दिए जाते हैं।
गिरती जन्म दर और मैरिज मार्केट
चीन वर्तमान में ऐतिहासिक जनसांख्यिकीय संकट (Demographic Crisis) से जूझ रहा है। जनसंख्या में गिरावट: 2025 में चीन की जनसंख्या 13.9 लाख तक कम हो गई है। जन्म दर ऐतिहासिक रूप से नीचे है और शादियों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 17% की गिरावट आई है।

युवाओं की सोच
चीन के युवा अब शादी को मजबूरी नहीं बल्कि एक विकल्प के रूप में देखते हैं। महंगाई, बढ़ते मकान दाम और करियर के दबाव के बीच वे स्वतंत्र जीवन पसंद करते हैं। ऐसे में शंघाई का यह मैरिज मार्केट उन माता-पिता के लिए उम्मीद की आखिरी किरण बन चुका है जो शादी को बच्चों के भविष्य के लिए सामाजिक अनिवार्यता मानते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि यह ट्रेंड अब शंघाई तक सीमित नहीं है बल्कि बीजिंग, चेंगदू और ग्वांगझो जैसे बड़े शहरों में भी इसी तरह के विवाह बाजार लगने लगे हैं।
