चीन ने EV बैटरी तकनीक पर निर्यात पर लगाया बैन, भारत समेत दुनिया भर में छाएगा संकट
punjabkesari.in Friday, Jul 18, 2025 - 03:17 PM (IST)

नेशनल डेस्क : दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन चीन के हालिया फैसले ने इस ग्रोथ को बड़ा झटका दिया है। चीन ने EV बैटरी निर्माण और लिथियम प्रोसेसिंग से जुड़ी अहम तकनीकों के निर्यात पर रोक लगा दी है। इससे भारत समेत उन तमाम देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन की रफ्तार धीमी पड़ सकती है, जो इस तकनीक के लिए चीन पर निर्भर हैं।
चीन की नई नीति
चीन के वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, अब EV बैटरियों से जुड़ी कुछ उन्नत निर्माण तकनीकों को केवल सरकार की अनुमति के बाद ही विदेशों में साझा किया जा सकेगा। यानी कोई भी विदेशी कंपनी या साझेदार इन तकनीकों को सीधे चीन से नहीं खरीद सकेगा। यह फैसला खासतौर पर उन कंपनियों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है जो चीन की तकनीक पर पूरी तरह निर्भर हैं। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने तकनीकी एक्सपोर्ट पर सख्ती दिखाई है। इससे पहले भी चीन ने रेयर अर्थ मटेरियल्स और मैग्नेट्स के निर्यात पर पाबंदी लगाई थी, जिनका इस्तेमाल EV, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर होता है।
EV बैटरियों का सबसे बड़ा निर्माता है चीन
चीन इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरियों के निर्माण में दुनिया में अग्रणी है। रिसर्च फर्म SNE की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक बाजार में बिकने वाली EV बैटरियों में से लगभग 67% चीन की कंपनियां बनाती हैं। इनमें CATL, BYD और Gotion जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। CATL न केवल टेस्ला जैसी कंपनियों को बैटरियां सप्लाई करती है, बल्कि इसके प्लांट जर्मनी, हंगरी और स्पेन जैसे देशों में भी हैं। दूसरी ओर, BYD ने 2024 में टेस्ला को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी EV निर्माता कंपनी का स्थान हासिल कर लिया है।
किस तकनीक पर लगी है रोक?
चीन की ताजा पाबंदी Lithium Iron Phosphate (LFP) बैटरियों की तकनीक पर लागू की गई है। LFP बैटरियां न केवल सस्ती होती हैं, बल्कि जल्दी चार्ज भी होती हैं और उन्हें सुरक्षित भी माना जाता है। 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, LFP बैटरियों के निर्माण में चीन की हिस्सेदारी 94% और लिथियम प्रोसेसिंग में 70% थी। यह साफ दर्शाता है कि इस क्षेत्र पर चीन का लगभग एकाधिकार है, और अब वह इसे बनाए रखने की रणनीति अपना रहा है।
भारत और अन्य देशों पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के इस फैसले का सीधा असर अमेरिका, यूरोप और भारत जैसे देशों पर पड़ेगा। EV बैटरियों की सप्लाई घटने से गाड़ियों की लागत बढ़ सकती है और उत्पादन योजनाओं में देरी हो सकती है। भारत जैसे देश, जो अभी भी EV तकनीक के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं, उन्हें उत्पादन लागत में बढ़ोतरी और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में रुकावट का सामना करना पड़ सकता है।