चीन की बड़ी साजिश ! भूटान में बसा रहा गांव, भारत को घेरने की है तैयारी

punjabkesari.in Monday, May 10, 2021 - 12:25 PM (IST)

 बीजिंगः अपनी विस्तारवादी  नीतियों के चलते चीन की नजर हमेशा दूसरे देशों की जमीन पर रहती है। पाकिस्तान, नेपाल के बाद चीन का अगला शिकार भूटान  है। दुनिया जहां कोरोना  महामारी से निपटने के लिए जूझ रही है वहीं चीन पराई भूमि को अपना बनाने की कोशिशों में लगा है। जिस तरह दक्षिण चीन सागर में  चीन  उकसावे की कार्रवाई करता है वैसे ही वह हिमालय में भी कर रहा है और ऐसा करके वह अपने पड़ोसियों के साथ रिश्ते खतरे में डाल रहा है। बीजिंग की गिद्ध दृष्टि अब भूटान की जमीन पर है को  घेरने के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए  ऐसे इलाके में सड़कों का नेटवर्क, सैन्य चौकियां और गांव बसा रहा है जिसे अंतरराष्ट्रीय और ऐतिहासिक रूप से भूटान का समझा जाता है। जानकारों का मानना है कि चीन की यह हरकत एक तरह से भारत को घेरने की साजिश  का हिस्सा है।

 

चीन  2015 से ही साजिश को दे रहा अंजाम
फॉरन पॉलिसी की रिपोर्ट के अनुसार, चीन भूटान घाटी में चीन 2015 से ही इस हरकत को अंजाम दे रहा है, लेकिन अब उसकी गतिविधियां तेज हो गई हैं।  बीजिंग ने 2015 में ऐलान किया था कि वह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के दक्षिण में ग्यालफुग गांव बसा रहा है। हालांकि ग्यालफुग भूटान में है और इसे बसाने के लिए चीनी अधिकारियों ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा का अतिक्रमण किया है। चीन ने अक्टूबर 2015 में ऐलान किया कि तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन (TAR) में ग्यालाफूग नाम का गांव बसाया गया है। अप्रैल 2020 में TAR के कम्यूनिस्ट पार्टी सेक्रटरी वू यिंगजी दो पास पार करके नए गांव पहुंचे। इसके बारे में स्थानीय मीडिया में चर्चा हुई लेकिन चीन के बाहर खबर नहीं हुई। तिब्बत में चीन ने कई गांव बनाए हैं लेकिन ग्यालाफूग दरअसल भूटान में है। वू और कई अधिकारी इंटरनैशनल बॉर्डर पार करके गए थे।
 
 दुनिया से छिपाकर जश्न मनाने पहुंचे चीनी अधिकारी
1980 से चीन ने 232 स्क्वेयर मील इलाके में दावा कर रखा है। इसे अंतर्राष्ट्रीय तौर पर भूटान के लूंटसे जिले का हिस्सा समझा जाता है। चीनी अधिकारी दुनिया से छिपाकर यहां जश्न मनाने गए थे। साल 2017 से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तिब्बत के सीमाक्षेत्र पर निर्माण करा रहे हैं। इसे भारत के साथ हिमालय में तनाव का नतीजा माना जाता है। फॉरन पॉलिसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक चीन को भूटान का यह इलाका नहीं चाहिए। वह भूटान पर दबाव बनाना चाहता है ताकि भारत का सामना करने के लिए उसे कहीं और जमीन चाहिए हो, तो मिल सके। ग्यालाफूग के अलावा दो और गांवों पर चीन की नजर है जिनमें से एक में निर्माणकार्य अभी चल रहा है। यहां 66 मील की नई सड़कें, एक छोटा हाइड्रोपावर स्टेशन, दो CCP प्रशासनिक केंद्र, एक संपर्क बेस, एक आपदा राहत कारखाना, पांच सैन्य-पुलिस आउटपोस्ट, सिग्नल टावर, सैटलाइट रिसीविंग स्टेशन, सैन्य बेस, सिक्यॉरिटी साइट और आउटपोस्ट चीन ने बना लिए हैं। चीन इसे TAR का क्षेत्र बताया है लेकिन ये उत्तरी भूटान में आते हैं।

 
समझौते का उल्लंघन कर रहा ड्रेगन
भारत के साथ सड़क निर्माण और फॉरवर्ड पट्रोलिंग को लेकर चीन ने 1962 का युद्ध कर डाला था, 1967 और 1987 में सेनाओं के बीच झड़प हो गई थी और पिछले साल 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। अब भूटान में पूरा गांव बसाकर वह अपनी बढ़ती आक्रामकता दिखा रहा है। वह भूटान के साथ समझौते का उल्लंघन भी कर रहा है। भूटान ने पहले भी इस तरह की गतिविधियों का विरोध पेइचिंग के पास दर्ज कराया है।  दरअसल चीन ने उत्तरी भूटान में  तीन जगहों पर दावा ठोका है, पश्चिम में चार और पूर्व में साकतेंग पर। उत्तर में बेयुल खेनपाजॉन्ग और मेनचुमा घाटी में अपना दावा बताता है। चीनी नक्शे में चागजॉम को भी चीन का हिस्सा दिखाया गया है। 1990 से चीन भूटान के लिए 495 स्क्वेयर किलोमीटर की जमीन छोड़ने का ऑफर दे रहा है, बशर्ते भूटान डोकलाम, चरिथांग, सिंचुलुंगपा, ड्रमाना और शकाटो में 269 किलोमीटर की जगह छोड़ दे।


 ग्‍लोबल टाइम्‍स खुद ही खोल चुका पोल
इससे पहले चीन का सरकारी भोंपू ग्‍लोबल टाइम्‍स  भी गलती से ही सही लेकिन यह मान चुका है  है कि चीन ने भूटान की जमीन में कब्‍जा करके पांग्‍डा गांव बसाया है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने  दावा किया था कि भूटान की सीमा के पास बसाया गया पांग्‍डा गांव चीन की सीमा में आता है लेकिन उसकी ओर से जारी तस्‍वीरों में यह साफ नजर रहा है कि चीनी गांव भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र में बसाया गया है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने ये भी कहा था कि पांग्‍डा गांव को नया बसाया गया है और सितंबर में वहां पर लोगों को बसाया गया है। सैटलाइट तस्‍वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने डोकलाम पठार के पूर्वी इलाके में भूटान की सीमा के दो किलोमीटर अंदर चीनी गांव बसाने के अलावा चीन ने इसी इलाके में 9 किमी तक फैली सड़क बना ली है। इससे पहले भारत में भूटान के राजदूत ने इस बात का खंडन किया था क‍ि यह गांव उनके क्षेत्र में आता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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Content Writer

Tanuja

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