'नमस्‍ते ट्रंप' से तिलमिलाए चीन ने निकाली भड़ास, पाक ने मजबूरी में दी सधी प्रतिक्रिया

punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2020 - 02:42 PM (IST)

पेशावरः चीन और पाकिस्‍तान अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की भारत यात्रा पर पैनी नजर रखे हुए हैं। ड्रैगन तो भारत के नमस्‍ते ट्रंप कार्यक्रम से पूरी तरह से तिलमिलाया हुआ है और इसे खतरे की घंटी बता रहा है। 'नमस्‍ते ट्रंप' के जरिए चीन की निगाहें ट्रंप और मोदी की दोस्‍ती पर टिकी हुई है। चीन सरकार ने अपने मुखपत्र ग्‍लोबल टाइम्‍स में जहां ट्रंप की इस यात्रा पर बड़ी चिंताएं जाहिर की हैं वहीं पाकिस्‍तान ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। ग्‍लोबल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाने में जुटा है। वह अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए चीन के पड़ोसियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। भारत और इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए वाशिंगटन और नई दिल्ली के साथ सहयोग बढ़ाने में जुटा है इसलिए पेइचिंग को इस पर पूरी तरह से गौर करना चाहिए।

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ग्‍लोबल टाइम्‍स के अनुसार अमेरिका चीन को प्रतिद्वंद्वी मानता है। अमेरिकी रुख में निकट भविष्य में कोई बदलाव आने वाला नहीं है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि नई दिल्ली के साथ वाशिंगटन का असली हित चीनी हितों को रोकना है। इसलिए भारत के साथ टैरिफ वॉर के बावजूद ट्रंप ने सितंबर 2019 में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का अमेरिका में गर्मजोशी से स्वागत किया था। अंतर्राष्ट्रीय स्थिति बदल रही है, इसलिए चीन इसे हल्के में नहीं ले सकता है। चीन का मानना है कि अमेरिका ने भारत को कभी अपने प्रतिद्वंद्वी के तौर पर नहीं देखा है। वह इसे एशिया में शक्ति संतुलन के रूप में देखता है। ट्रंप के भारत दौरे का मकसद महज केवल हथियार बेचना है, लेकिन वह केवल पैसे नहीं चाहते हैं। ट्रंप इसके जरिए वैश्विक रिश्तों को नया आयाम देने पर जोर दे रहे हैं, जोकि अमेरिका के हिंद-प्रशांत रणनीति का हिस्सा है।

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ग्‍लोबल टाइम्‍स ने लिखा है कि दोनों देशों के मजबूत होते रिश्‍तों के पीछे चीन को रोकने की कोशिश है। यह दौरा अमेरिका की ओर से नई दिल्ली को दिए जाने वाले सामरिक-राजनीतिक महत्व को दर्शाता है। इसमें चिंता जाहिर की गई है दोनों देशों के बीच रक्षा खरीद में लगातार इजाफा हो रहा है। वर्ष 2008 में जहां दोनों देशों के बीच रक्षा खरीद नगण्य थी, वहीं वर्ष 2019 तक 15 अरब डॉलर का हो चुका है। ट्रंप ने आने वाले अमेर‍िकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों से समर्थन प्राप्त करने के लिए इस यात्रा का उपयोग करने के इरादे से किया है। अमेरिका में कई भारतीय सोशल मीडिया, प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पदों पर रहते हैं और अमेरिकी समाज में बहुत प्रभाव रखते हैं।

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पाक ने दी सधी हुई प्रतिक्रिया
आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्‍तान ने नमस्‍ते ट्रंप पर बहुत सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। उसने दावा किया है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्‍तान के साथ बे‍हतर रिश्‍तों की बात की है। पाक जानता है कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाक को अमेरिका की बेहद जरूरत है। गुजरात के अहमदाबाद में बोलते हुए ट्रंप ने कहा था कि हम कट्टर इस्लामिक आतंकवाद से निपटने के लिए एक साथ हैं। हालांकि, पाकिस्‍तानी मीडिया ट्रंप के भाषण इन बातों का जिक्र न करते हुए पाकिस्‍तान समर्थक बताकर उसका प्रचार कर रहा है। पाक मीडिया ट्रंप ने अपने भाषण में पाकिस्‍तान की तारीफ की है। लेकिन पाकिस्‍तान सरकार ने बड़ी चतुराई से इस्‍लामिक कट्टरवाद से अपने आपको अलग कर लिया। जबकि भारत पाकिस्‍तान में पोषित आतंकवाद से पीडि़त है। ट्रंप का इशारा उस ओर ही था, लेकिन पाकिस्‍तान ने उसकी पूरी तरह से अनदेखी की।


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Tanuja

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