Violent Behavior In Childrens: अगर दिखे ये शुरुआती संकेत तो समझिए खतरे में है आपके बच्चे की जान! तुरंत दिखाएं डॉक्टर को
punjabkesari.in Tuesday, Oct 28, 2025 - 12:40 PM (IST)
नेशनल डेस्क। अक्सर यह माना जाता है कि बच्चे स्वाभाविक रूप से मासूम होते हैं और उनके आक्रामक व्यवहार को केवल शरारत या गुस्सा मानकर अनदेखा कर दिया जाता है। हालाँकि यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है। रिचर्ड ई. ट्रेम्बले (Richard E. Tremblay) के 2012 के प्रसिद्ध शोध पत्र 'The Development of Physical Aggression' के मुताबिक अधिकांश बच्चे जन्म के दूसरे साल से पहले ही शारीरिक आक्रामकता (Physical Aggression) दिखाना शुरू कर देते हैं। यह तथ्य बताता है कि हिंसक प्रवृत्ति बच्चों में जन्म के बाद से ही बनने लगती है।
क्या बच्चे पैदा होते ही हिंसक होते हैं?
ट्रेम्बले के शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि बचपन का आक्रोश यदि समय पर नियंत्रित न किया जाए तो यह किशोरावस्था और वयस्कता में खतरनाक रूप ले सकता है खासकर सामूहिक हत्याकांड (Mass Killings) में शामिल युवाओं को देखते हुए।
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दुर्लभ मामले, बड़ा प्रमाण: हालाँकि ये मामले दुर्लभ हैं लेकिन कम उम्र के बच्चों में भी गंभीर हिंसा के उदाहरण मिलते हैं:
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दुनिया के सबसे कम उम्र के सीरियल किलर ने सिर्फ 7 साल की उम्र में पहली हत्या का आरोप झेला।
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जापान में 11 साल की बच्ची ने बॉक्स कटर से अपनी सहपाठी की हत्या की और शांति से कक्षा में लौट गई।
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ये उदाहरण दर्शाते हैं कि बच्चों में जन्म के बाद से ही हिंसक प्रवृत्ति विकसित हो सकती है जिसे काबू करना आवश्यक है।
बच्चों में हिंसक व्यवहार के मुख्य कारण
2011 के लेख 'Understanding Violent Behavior in Children and Adolescents' में बच्चों में हिंसक व्यवहार के कई कारण बताए गए हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह व्यवहार अक्सर बाहरी कारकों की प्रतिक्रिया होता है:
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हिंसा या शोषण का शिकार होना: बच्चे खुद किसी तरह की हिंसा या शोषण का शिकार हुए हों।
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हिंसा देखना: टीवी, फिल्म, वीडियो गेम या वास्तविक जीवन में हिंसा देखने से भी बच्चा प्रभावित होता है।
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आर्थिक कारण: गरीबी और भूख जैसी मूलभूत ज़रूरतें पूरी न होना भी आक्रामक प्रवृत्ति को जन्म दे सकती हैं।
हिंसक व्यवहार के शुरुआती लक्षण (माता-पिता के लिए)
माता-पिता को अपने बच्चे में इन हिंसा के शुरुआती लक्षणों को पहचानना चाहिए ताकि समय रहते उचित कदम उठाया जा सके:
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बार-बार गुस्से के दौरे आना (Frequent Temper Tantrums)।
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जानवरों या कीड़ों को नुकसान पहुंचाना।
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बिना सोचे-समझे काम करना (Impulsivity)।
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अकेलापन और सामाजिक दूरी बनाए रखना।
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हिंसक कंटेंट (Violent Content) देखने में रुचि।
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गिल्ट या पछतावा न होना।
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खुद को नुकसान पहुंचाना (Self-harm)।
माता-पिता को क्या करना चाहिए?
यदि आप अपने बच्चे में ऐसे लक्षण देखते हैं तो स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए ये उपाय अपनाए जा सकते हैं:
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खुद शांत रहें: जब बच्चा हिंसक व्यवहार दिखाए तो माता-पिता का शांत रहना जरूरी है। गुस्से में दी गई सजा स्थिति को और बिगाड़ सकती है।
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शांत लेकिन सख्त संचार: सख्त लेकिन शांत लहजे में बच्चे को समझाएं कि उसका व्यवहार गलत है और साथ ही उसकी बात भी सुनें।
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सुरक्षित माहौल में बातचीत: शांत माहौल में बातचीत करें जहां बच्चा सुरक्षित महसूस करे और अपनी तकलीफ बता सके।
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पेशेवर मदद: यदि व्यवहार लगातार बना रहता है तो किसी काउंसलर या बाल मनोवैज्ञानिक की मदद लें। वे बच्चे की तकलीफ को समझने और सही समाधान देने में सहायता कर सकते हैं।
