''One Nation, One Election'' की राह में चुनौतियाँ, सरकार के लिए आसान नहीं होगी सफलता की प्राप्ति

punjabkesari.in Friday, Sep 20, 2024 - 11:28 AM (IST)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर 'एक देश, एक चुनाव' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस योजना का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है, लेकिन इसे लागू करने में सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या है प्रस्ताव का मूल उद्देश्य
'एक देश, एक चुनाव' का विचार भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है। समिति ने सिफारिश की है कि इसे दो चरणों में लागू किया जाए। पहले चरण में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, जबकि दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की योजना है। इस प्रक्रिया से चुनावी खर्च में कमी और प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू बनाने की उम्मीद की जा रही है।

राजनीतिक समर्थन की स्थिति
कोविंद समिति के सामने 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इनमें से 32 दलों ने 'एक देश, एक चुनाव' के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया। समर्थन करने वाले दलों में अधिकतर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के सहयोगी हैं, जबकि बीजू जनता दल जैसे कुछ दल, जो पहले एनडीए का हिस्सा रहे हैं, अब इस योजना का विरोध कर रहे हैं।

संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता
'एक देश, एक चुनाव' को लागू करने के लिए कई संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी। इसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना जरूरी है। लोकसभा में यह संख्या 361 वोटों की है, जबकि राज्यसभा में यह 156 वोटों की आवश्यकता होगी। 

जानिए क्या है एनडीए की स्थिति
लोकसभा में एनडीए के पास वर्तमान में 293 सीटें हैं, जो कि आवश्यक 361 से 68 कम हैं। यदि छोटे गैर-गठबंधन दलों के 16 वोटों को भी शामिल किया जाए, तो भी एनडीए को विपक्ष का समर्थन जुटाने की जरूरत पड़ेगी। दूसरी ओर, इंडिया ब्लॉक के पास 237 सीटें हैं, जिससे एनडीए की स्थिति और कमजोर होती है। राज्यसभा में एनडीए के पास 121 सीटें हैं, जो बहुमत के लिए आवश्यक 156 से बहुत कम हैं। इस स्थिति में, इंडिया ब्लॉक के पास 87 सीटें होने से एनडीए के लिए मार्ग कठिन हो गया है। 

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राज्य स्तर पर एनडीए की ताकत
हालांकि, एनडीए का राज्य स्तर पर 28 विधानसभाओं में से 19 पर नियंत्रण है, जिससे वे संवैधानिक संशोधनों को पारित करने में मदद पा सकते हैं। लेकिन विपक्षी दलों के विरोध की संभावना बनी हुई है, खासकर उन राज्यों में जहां विपक्ष का शासन है।

विपक्ष की एकता
विपक्ष में शामिल दलों ने इस प्रस्ताव का खुलकर विरोध किया है। प्रमुख विरोधी दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) शामिल हैं। इन दलों की विभिन्न राज्यों में सत्ता होने से एनडीए की योजनाओं को चुनौती मिल रही है।

मुश्किलें आ रही हैं, तो उन्हें अंतर-दलीय समर्थन जुटाने की आवश्यकता
यदि एनडीए को 'एक देश, एक चुनाव' के लिए आवश्यक संशोधनों को पारित करने में मुश्किलें आ रही हैं, तो उन्हें अंतर-दलीय समर्थन जुटाने की आवश्यकता होगी। हालांकि, एनडीए राज्य विधानसभाओं में मजबूत है, लेकिन संसद में उनकी स्थिति चुनौतीपूर्ण है। इससे सरकार को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का प्रस्ताव भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है, लेकिन इसे लागू करने में विभिन्न राजनीतिक और संवैधानिक बाधाएं हैं। यदि सरकार को इन चुनौतियों का सामना करना है, तो उसे व्यापक सहमति और समर्थन जुटाने की आवश्यकता होगी। 


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Content Editor

Mahima

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