बिल एक, चुनौती अनेक... क्या विपक्षी INDIA ब्लॉक रोक पाएगा One Nation-One Election का रास्ता? संसद और राज्यों का गणित क्या कहता है?
punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2024 - 03:31 PM (IST)
नेशनल डेस्क: नरेंद्र मोदी सरकार का सबसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद प्रस्ताव वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation, One Election) बिल, जिसे हाल ही में लोकसभा में पास किया गया, अब संविधान संशोधन विधेयक के रूप में अपनी मंजूरी के लिए राज्यसभा और फिर राज्य विधानसभाओं में कठिन परीक्षण से गुजरने वाला है। यह बिल देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव करता है। इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, जिससे इसे संसद और राज्य विधानसभाओं से पास कराना सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक और संवैधानिक चुनौती बन गया है।
संविधान संशोधन के लिए आवश्यक बहुमत
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल एक संविधान संशोधन विधेयक है, और इस प्रकार इसे दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — से पारित कराने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। संविधान के अनुच्छेद 368(2) के तहत किसी भी संशोधन के लिए यह आवश्यक है कि दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्य बिल के पक्ष में मतदान करें। इसका मतलब यह है कि प्रत्येक सदन में एक सशक्त दो-तिहाई बहुमत हासिल करना बेहद महत्वपूर्ण है।
लोकसभा में पास करने का गणित
वर्तमान में लोकसभा में कुल 543 सदस्य हैं, और यदि सभी सदस्य मतदान में भाग लेते हैं, तो सरकार को इस बिल को पारित कराने के लिए कम से कम 362 वोट चाहिए होंगे। हालांकि, NDA (National Democratic Alliance) के पास लोकसभा में सिर्फ 293 सांसद हैं, जिनमें से 240 सांसद बीजेपी के हैं। इसका मतलब यह है कि सरकार को बिल को पारित कराने के लिए 69 सांसदों की कमी पड़ रही है।इस स्थिति में सरकार के लिए राहत की बात यह है कि कुछ गैर-INDIA ब्लॉक दलों ने इस बिल के समर्थन का संकेत दिया है। इनमें YSR Congress Party (YSRCP), Biju Janata Dal (BJD), और Bahujan Samaj Party (BSP) शामिल हैं। इस वक्त YSRCP के पास लोकसभा में 4 सांसद हैं, जबकि BJD और BSP के पास लोकसभा में कोई सांसद नहीं हैं।
भारत राष्ट्र समिति (BRS) और AIADMK जैसे दलों ने इस बिल पर फिलहाल कोई आधिकारिक रुख नहीं अपनाया है। BRS इस मामले में वेट एंड वाच की स्थिति में है, जबकि BJD ने कहा है कि वे बिल की कॉपी देखने के बाद औपचारिक प्रतिक्रिया देंगे। यदि ये दल सरकार का समर्थन करते हैं, तो मोदी सरकार के लिए लोकसभा में इस बिल को पारित कराना थोड़ा आसान हो सकता है, लेकिन विपक्षी गठबंधन INDIA के विभिन्न दलों का विरोध सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनेगा।
राज्यसभा में समर्थन की स्थिति
राज्यसभा में सरकार को इस बिल को पारित कराने के लिए 164 वोटों की आवश्यकता होगी। वर्तमान में राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, और NDA के पास 112 सीटें हैं, जिनमें से 6 मनोनीत सदस्य हैं। इसका मतलब यह है कि राज्यसभा में भी सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत हासिल करने के लिए 52 वोटों की कमी है। अगर YSRCP (11 सांसद) और BJD (7 सांसद) जैसे दल राज्यसभा में सरकार का समर्थन करते हैं, तो सरकार को थोड़ा फायदा हो सकता है, लेकिन फिर भी यह संख्या 164 तक पहुंचने के लिए अपर्याप्त होगी। इसके अलावा, कुछ अन्य दल जैसे AIADMK (3 सांसद), BSP (1 सांसद), और BRS (4 सांसद) भी राज्यसभा में सरकार के साथ आ सकते हैं। राज्यसभा में विपक्षी दलों का समर्थन न मिलने पर सरकार को इस बिल को पास कराना और कठिन हो सकता है।
राज्य विधानसभाओं में अनुमोदन की आवश्यकता
यदि लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक को पारित किया जाता है, तो इसे देश की आधी से अधिक राज्य विधानसभाओं*से भी मंजूरी दिलवाना जरूरी होगा। यह अनुच्छेद 368(2) के तहत आवश्यक है, क्योंकि संविधान संशोधन से संबंधित विधेयकों के लिए राज्य विधानसभाओं से अनुमोदन लिया जाता है। कुछ संशोधन, जो राज्यों के अधिकारों या उनकी स्वायत्तता को प्रभावित करते हैं, उन्हें राज्यों की विधानसभाओं से अनुमोदित कराना आवश्यक होता है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का मानना है कि राज्य विधानसभाओं की मंजूरी इस बिल के लिए जरूरी होगी, क्योंकि यह राज्य की स्वायत्तता, चुनाव प्रक्रिया और शासन व्यवस्था को प्रभावित करता है। इसके विपरीत, सिद्धार्थ लूथरा जैसे कुछ विशेषज्ञ यह मानते हैं कि चूंकि यह विधेयक सातवीं अनुसूची के तहत किसी भी विधायी प्रविष्टि में संशोधन नहीं करता, इसलिए राज्य विधानसभाओं से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं हो सकती।
बीजेपी के लिए राज्य विधानसभाओं से समर्थन जुटाना आसान
हालांकि, बीजेपी के लिए राज्य विधानसभाओं से इस बिल को पारित कराना अपेक्षाकृत आसान हो सकता है। वर्तमान में बीजेपी 14 राज्यों में सरकार चला रही है, जबकि NDA शासित राज्यों की संख्या 20 तक पहुंच चुकी है। इस लिहाज से बीजेपी के पास राज्य विधानसभाओं में समर्थन जुटाने की पर्याप्त संभावना है। इसके बावजूद, पार्टी को अपने सहयोगी दलों से समर्थन हासिल करने में सावधानी बरतनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी राज्य में उनके गठबंधन को खतरा न हो।
विपक्षी दलों का रुख
INDIA ब्लॉक, जो मुख्य रूप से विपक्षी दलों का गठबंधन है, इस बिल का मुखर विरोध कर रहा है। इनके पास लोकसभा में कुल 205 सीटें और राज्यसभा में 85 सीटें हैं। कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), तृणमूल कांग्रेस (TMC), आप (AAP), और अन्य क्षेत्रीय दल इस बिल के खिलाफ हैं। इनके अनुसार, यह विधेयक संविधान की मूल संरचना और संघीय ढांचे को चुनौती देता है और राज्यों की स्वायत्तता को सीमित करता है। विपक्षी दलों का यह भी कहना है कि यह चुनावी लोकतंत्र की आधारभूत स्वतंत्रता और विविधता को खतरे में डाल सकता है।
एक संविधान संशोधन विधेयक के रूप में, वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को लोकसभा और राज्यसभा में विशेष बहुमत से पारित कराना और फिर राज्यों से अनुमोदन प्राप्त करना आसान नहीं होगा। सरकार को न केवल अपने गठबंधन को मजबूत रखना होगा, बल्कि विपक्षी दलों और सहयोगियों से भी समर्थन जुटाना होगा। अगर सरकार अपनी रणनीति और राजनीतिक कूटनीति में सफल रहती है, तो यह बिल लागू हो सकता है, लेकिन विपक्षी दलों और कानूनी चुनौतियों के चलते इसके रास्ते में कई कठिनाइयां हैं।