''ऐसी शादी को मान्यता मिलने से दहेज, तलाक...'', समलैंगिक विवाह के खिलाफ SC में बोली केंद्र सरकार
punjabkesari.in Monday, Mar 13, 2023 - 06:07 PM (IST)

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने का मामला पांच जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया है। इस पर 18 अप्रैल को मामले पर सुनवाई होगी। याचिका में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह के रजिस्ट्रेशन की मांग की गई है। केंद्र ने कहा कि यह भारत की पारिवारिक व्यवस्था के खिलाफ होगा। इसमें कानूनी अड़चनें भी आएंगी। इस साल 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी के मसले पर केंद्र को नोटिस जारी किया था। साथ ही अलग-अलग होईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर लिया था। अब कोर्ट के सामने 15 से अधिक याचिकाएं हैं। ज्यादातर याचिकाएं गे, लेस्बियन और ट्रांसजेंडर लोगों ने दाखिल की हैं।
कानून मंत्रालय ने क्या कहा?
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने मामले पर जवाब देते हुए कहा है कि भारत में परिवार में पति-पत्नी और उन दोनों की संतानें हैं। समलैंगिक विवाह इस सामाजिक धारणा के खिलाफ है। संसद से पारित विवाह कानून और अलग-अलग धर्मों की परंपराएं इस तरह की शादी को स्वीकार नहीं करती। ऐसी शादी को मान्यता मिलने से दहेज, घरेलू हिंसा कानून, तलाक, गुजारा भत्ता, दहेज हत्या जैसे तमाम कानूनी प्रावधानों को अमल में ला पाना कठिन हो जाएगा। यह सभी कानून एक पुरुष को पति और महिला को पत्नी मानकर ही बनाए गए हैं।
मामला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कुछ याचिकाओं में समलैंगिक विवाह को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाकर उनका रजिस्ट्रेशन किए जाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 377 के एक हिस्से को रद्द कर दिया था। इसके चलते दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध को अब अपराध नहीं माना जाता। ऐसे में साथ रहने की इच्छा रखने वाले समलैंगिक जोड़ों को कानूनन शादी की भी अनुमति मिलनी चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारडीवाला की बेंच के सामने हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता पक्ष के वकीलों ने केंद्र के जवाब का विरोध किया। उन्होंने कहा कि विवाह समलैंगिक लोगों का संवैधानिक और प्राकृतिक अधिकार है। अपनी शादी को कानूनी दर्जा न मिलने से उन्हें कई तरह की दिक्कतें आती हैं। केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक ऐसा विषय है जिसे संसद के ऊपर छोड़ देना चाहिए. मामले का भारतीय समाज पर दूरगामी असर पड़ेगा।
सॉलिसिटर जनरल क्या बोले?
सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि अगर ऐसी शादी को मान्यता मिलती है तो भविष्य में समलैंगिक जोड़े बच्चों को गोद लेंगे। इस बात पर भी विचार करने की जरूरत है कि समलैंगिक जोड़े के साथ रह रहे बच्चे की मानसिक स्थिति पर इसका किस तरह का असर पड़ेगा। सुनवाई के अंत में 3 जजों की बेंच ने कहा कि वह मामले के कानूनी पहलुओं और सामाजिक महत्व के चलते इसे संविधान पीठ को सौंप रही है। आगे की सुनवाई में सभी पक्षों को अपनी बातें रखने का पूरा मौका दिया जाएगा।