सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा, भारत के रक्षा निर्यात में 700 फीसदी की बढ़त हुई
punjabkesari.in Wednesday, Sep 09, 2020 - 08:36 PM (IST)
नई दिल्लीः प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने भारत के रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) और आयुध फैक्टरियों का नवीकरण करने की बुधवार को अपील की। इसका उद्देश्य इनकी कार्य संस्कृति को बेहतर करना और गुणवत्ता को बढ़ाना है। जनरल रावत ने यह भी कहा कि भारत के कुछ पुराने सैन्य साजो सामान नये पुर्जे लगा कर उन देशों को निर्यात किये जा सकते हैं, जिनके पास अपनी रक्षा के लिये ऐसे वांछित सैन्य उपकरणों का अभाव है। रक्षा निर्यात पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए सीडीएस ने भारत के रक्षा व्यय के वितरण को भविष्य में बेहतर करने के लिये इस पर ‘‘सावधानी पूर्वक गौर करने'' का भी समर्थन करते हुए कहा कि संसाधनों के उपयुक्त उपयोग के लिये व्यय का यथार्थवादी विश्लेषण अवश्य किया जाना चाहिए।
We witnessed a staggering 700% growth in defence exports from Rs 1521 Cr in 2016-17 to Rs 10,745 Cr in 2018-19, an all time high ranking of 19th in the list of defence exporters in 2019: CDS General Bipin Rawat at e-symposium on 'Catalysing Defence Exports' via video conferencing pic.twitter.com/Kh0gPQCBjF
— ANI (@ANI) September 9, 2020
उन्होंने कहा कि भारत को ‘‘प्रतिबंधों की धमकी'' या अपनी सैन्य जरूरत के लिये किसी खास राष्ट्र पर निर्भर रहने से भी बाहर निकलना चाहिए। उन्होंने प्रतिबंधों का सामना करने वाले देशों से उपकरणों की खरीद में शामिल मुश्किलों की ओर इशारा करते हुए यह बात कही। भारत ने अक्टूबर 2018 में वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली एस-400 की पांच इकाई खरीदने के लिये रूस के साथ पांच अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने अमेरिकी ट्रंप प्रशासन की चेतावनी की परवाह नहीं करते हुए ऐसा किया था। अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि इस पर आगे बढ़ने पर अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका ने ‘‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट'' (काटसा) के तहत रूप पर प्रतिबंध लगाए थे। यह कानून रूस से रक्षा हार्डवेयर खरीदने वाले देशों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करता है।
जनरल रावत ने कहा कि सैन्य साजो सामान के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों के जरिये घरेलू उद्योग के तेज गति से वृद्धि प्रारंभ करने का मंच तैयार हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी आयुध फैक्टरियों और अन्य रक्षा पीएसयू के आधुनिकीकरण, उनकी कार्य संस्कृति और गुणवत्ता नियंत्रण के संदर्भ में नवीकरण करने की जरूरत है। '' उन्होंने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि कुछ इकाइयों का कॉरपोरेटीकरण करना ‘डिजाइनर इंड यूजर' के लिये एक प्रभावी उपाय सुनिश्चित करने की दिशा में एक रास्ता होगा। जनरल रावत ने कहा कि सशस्त्र बल देश में निर्मित हथियारों से भारत की जंग जीतने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि भारत के कुछ पुराने सैन्य साजो सामान का निर्यात किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सैन्य बेड़े में ऐसे पुराने साजो सामान का भी एक हिस्सा है जिसे आने वाले दशकों में आधुनिकीकरण योजना के तहत लाना होगा। इन्हें कुछ नये पुर्जे लगा कर उन देशों को निर्यात किया जा सकता है जिन्हें अपनी रक्षा के लिये इस तरह की चीजों की जरूरत है। '' उन्होंने कहा, ‘‘हम पुराने सैन्य उपकरणों को घरेलू उद्योग से भी साझा करने पर विचार कर सकते हैं ताकि उन्हें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करने में मदद मिल सके।''
सीडीएस ने निजी उद्योग से निर्णायक सैन्य शक्ति के उपयोग के लिये दीर्घकालीन क्षमताओं में निवेश करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में भारत ने रक्षा निर्यात में 700 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह 2016-17 में 1500 करोड़ रुपये था जो 2018-19 में बढ़ कर 10,745 हो गया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत विश्व में रक्षा के मद में सर्वाधिक व्यय करने के मामले में तीसरे स्थान पर है। वक्त आ गया है कि हम अपने रक्षा व्यय के वितरण पर गौर करें। हमें अपने व्यय का यथार्थवादी विश्लेषण करना होगा। पिछले कुछ महीनों में सरकार ने भारत को रक्षा विनिर्माण का केंद्र बनाने की कोशिश के तहत सिलसिलेवार रूप से सुधार उपाय किये हैं, जिनमें अगस्त में 101 हथियार प्रणालियों के आयात पर रोक लगाने से जुड़ी घोषणा और मई में रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ा कर 74 प्रतिशत किया जाना शामिल है।