84% युवा चपेट में! ये बिमारी बन रहा है साइलेंट किलर, स्वास्थ्य मंत्री ने संसद में जताई गहरी चिंता

punjabkesari.in Wednesday, Aug 06, 2025 - 03:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत की युवा पीढ़ी पर सेहत का खतरा मंडराने लगा है। युवाओं की बड़ी आबादी आज ऐसी बीमारी की गिरफ्त में आ रही है जो चुपचाप शरीर को भीतर से खोखला कर रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हाल ही में संसद में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद में आईटी सेक्टर में काम कर रहे 84% से ज्यादा युवा फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। यह चिंता सिर्फ हैदराबाद की नहीं बल्कि पूरे देश की चेतावनी है।

संसद में क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री?

स्वास्थ्य मंत्री ने ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह बताया कि देश के युवा तेजी से फैटी लिवर की चपेट में आ रहे हैं। खासतौर से 25 से 45 साल की उम्र के आईटी प्रोफेशनल्स इस बीमारी का सबसे बड़ा शिकार बनते जा रहे हैं। इसकी वजह है खराब लाइफस्टाइल, लंबे समय तक डेस्क पर बैठकर काम करना, फिजिकल एक्टिविटी का ना होना और अनहेल्दी खानपान।

क्या है फैटी लिवर?

फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर में चर्बी (फैट) जमा होने लगती है। सामान्य लिवर में थोड़ा बहुत फैट होना स्वाभाविक है लेकिन जब यह मात्रा 5-10% से अधिक हो जाती है तो यह खतरनाक हो सकता है। ये स्थिति आगे चलकर लिवर सिरोसिस, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, गॉलब्लैडर स्टोन और ब्रेन स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियों में बदल सकती है।

फैटी लिवर का सबसे पहला लक्षण क्या होता है?

इस बीमारी की सबसे खतरनाक बात ये है कि शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं या नजर ही नहीं आते। लेकिन अगर ध्यान दिया जाए तो कुछ संकेत साफ नजर आने लगते हैं।
सबसे पहला लक्षण होता है - पेट और कमर के आसपास चर्बी का जमना।
अगर पेट लगातार बाहर निकल रहा है, कमर का साइज बढ़ रहा है, गर्दन मोटी हो रही है या गर्दन पर काले धब्बे बन रहे हैं तो यह सिर्फ मोटापा नहीं बल्कि फैटी लिवर की दस्तक हो सकती है।

फैटी लिवर के अन्य प्रमुख लक्षण

  • लगातार भूख में कमी

  • पीलिया जैसे लक्षण (आंखें और त्वचा पीली होना)

  • गहरा पीला या भूरा पेशाब आना

  • पेट या पैरों में सूजन

  • खाने के बाद जी मिचलाना या उल्टी जैसा महसूस होना

फैटी लिवर क्यों है इतना खतरनाक?

बहुत से लोग फैटी लिवर को मामूली समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि फैटी लिवर सिर्फ एक बीमारी नहीं बल्कि कई गंभीर बीमारियों की जड़ बन सकता है। जब लिवर में फैट बढ़ता है तो यह धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों तक भी फैलने लगता है। खून में फैट मिलते ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है जिससे दिल की नसों में चर्बी जमा होने लगती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। अगर यही फैट दिमाग तक पहुंच जाए तो ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति बन सकती है। वहीं गॉलब्लैडर में फैट जमा होने पर पथरी यानी स्टोन बनने की संभावना बढ़ जाती है और किडनी में फैट जमने से उसका सामान्य कार्य भी प्रभावित होने लगता है। कहने का मतलब यह है कि फैटी लिवर एक साइलेंट किलर की तरह पूरे शरीर की सेहत को अंदर से हिला सकता है।

क्यों आईटी सेक्टर के युवा ज्यादा प्रभावित हैं?

ICMR की रिपोर्ट में इस बात पर भी खास तौर पर रोशनी डाली गई है कि आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोग फैटी लिवर की बीमारी से सबसे ज्यादा क्यों प्रभावित हो रहे हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश युवा दिनभर 9-10 घंटे तक लगातार कुर्सी पर बैठकर कंप्यूटर के सामने काम करते हैं, जिससे उनकी शारीरिक गतिविधि लगभग न के बराबर रह जाती है। इसके अलावा फास्ट फूड, जंक फूड और बाहर का तला-भुना खाना उनकी रोजमर्रा की आदत में शामिल हो चुका है। पर्याप्त नींद न लेना, लगातार तनाव में रहना और समय पर भोजन न करना भी उनकी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गया है। इन सभी कारणों का सीधा असर उनके मेटाबोलिज्म पर पड़ता है, जो धीरे-धीरे बिगड़ने लगता है और परिणामस्वरूप लिवर में चर्बी जमा होने लगती है, जिससे फैटी लिवर की समस्या जन्म लेती है।

कैसे बच सकते हैं फैटी लिवर से?

फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए किसी महंगे इलाज या दवाओं की जरूरत नहीं होती, बल्कि कुछ छोटे-छोटे लेकिन जरूरी बदलावों से ही इसे रोका जा सकता है। सबसे पहले रोजाना कम से कम 30 मिनट की वॉक या हल्का व्यायाम करने की आदत डालें, जिससे शरीर में फैट जमा न हो। खानपान में सुधार लाना बेहद जरूरी है — घरेलू और संतुलित आहार को प्राथमिकता दें और शुगर, ऑयली फूड व फास्ट फूड से पूरी तरह दूरी बनाएं। शरीर को अंदर से साफ रखने के लिए गुनगुना नींबू पानी, आंवला जूस और ग्रीन टी जैसे डिटॉक्स ड्रिंक्स को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इसके अलावा शराब का सेवन बिल्कुल न करें क्योंकि यह लिवर को सीधा नुकसान पहुंचाता है। साथ ही हर 6 महीने में ब्लड टेस्ट और लिवर फंक्शन टेस्ट कराते रहें ताकि लिवर की स्थिति पर नजर रखी जा सके और किसी भी समस्या का समय रहते इलाज किया जा सके।

फैटी लिवर आज की सबसे तेजी से बढ़ती बीमारियों में से एक बन चुका है, खासतौर पर युवाओं के बीच। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा संसद में उठाई गई यह चिंता एक अलार्म बेल है कि अब समय आ गया है जब हम अपनी लाइफस्टाइल पर गंभीरता से ध्यान दें। अगर समय रहते सुधार नहीं किया गया तो यह बीमारी आने वाले वर्षों में देश के स्वास्थ्य तंत्र पर बड़ा बोझ बन सकती है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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