बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने पीएम मोदी लिखा पत्र, की ये मांग

punjabkesari.in Friday, Aug 14, 2020 - 06:49 PM (IST)

नई दिल्लीः बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) भारतीय निर्माण उद्योग का प्रनतनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था है। जिसका गठि सन् 1941 में हुआ था और वर्तमान में संपूर्ण भारतवर्ष में फैले हुए 200 केंद्रों के माध्यम से लगभग 20000 निर्माण कंपनियां परोक्ष पैटर्न सदस्य और 100000 से अधिक अपरोक्ष रूप में क्षेत्रीय संघों के माध्यम से बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ संबंधित हैं। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया निर्माण उद्योग और सरकार के बीच नीति निर्धारण में एक सेतु का कार्य करते हुए राष्ट3 के आर्थिक विकास में सहयोग प्रदान करने का कार्य करती आई है।

हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व  केंद्र सरकार द्वारा भारत् वर्ष में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे सबसे बड़े उद्योग निर्माण क्षेत्र की कठिनाइयों का संज्ञान लेकर किए गए उपचारात्मक उपायों और प्रयासों कि लिए बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया हृदय से आभार व्यक्त करती है। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुत्थुस्वामी द्वारा निम्नलिखित विषयों  का संज्ञान लिए जाने एवं संबंधित कठिनाइयों  का निवारण करने हेतु केंद्र सरकार से निवेदन किया गया है:-

निर्माण क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया जाए और विशेष रूप से निर्माण उद्योग के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया जाए।
सीमेंट स्टील निर्माण उद्योग के आवश्यक अनिवार्य सामग्री हैं। इनकी उपलब्धता सुनिश्चित कराने एवं दरों पर नियंत्रण रखने के लिए स्टील एवं सीमेंट नियामक आयोग की स्थापना सरकार द्वारा की जानी चाहिए जोकि ऐसे अनियंत्रित उत्पादकों पर भी लगाम लगा सके जो अनुचित लाभ बनाने के लिए संघ बना लेते हैं। इस विषय को आपके संज्ञान में लाना है कि बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा 2010 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CMA) और अन्य कंपनियों के विरुद्ध सीमेंट उत्पादन और वितरण सीमित करने और एक अनुचित संघ बनाकर सीमेंट की दरों की अप्रत्याशित वृद्धि करने के विरुद्ध एक मुकदमा दर्ज किया गया था। इस विषय में जांच के आधार पर CCI द्वारा वर्ष 2016 में निर्णय दिया गया और अनुचित रूप से संघ बनाकर सीमेंट उत्पादन और बाजार में वितरण करने व दरों में अनुचित वृद्धि करने का दोषी मानते हुए CMA और 11 सीमेंट उत्पादकों पर 6317 करोड़ का जुर्माना लगाया वर्तमान परिदृश्य में निर्माण उद्योग आगे नहीं बढ़ रहा है और अधिक असफलताओं को झेल रहा है क्योंकि सभी परियोजनाएं अत्यधिक अनिश्चितता की महामारी कोविड-19 के कारण ठप हैं। सभी बिल्डरों और ठेकेदारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए क्योंकि वे बिना किसी उत्पादकता के प्रशासन और श्रम भुगतानों की अधिक लागत के बोझ से दबे हुए हैं।
केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के सभी विभागों में वित्तीय वर्ष 2019-20 तक लंबित समस्त बिल भुगतान तुरंत प्रभाव से अवमुक्त किए जाएं।
कोविड-19 महामारी के चलते केंद्र सरकार द्वारा घोषित मोरेटोरियम की अवधि सभी ऋणों यथा मशीनरी, व्यापार अथवा गृह ऋण आदि पर बकाया मूल ऋण की अदायगी की अवधि 31/03/2021 तक वृद्धि की जाए तथा ब्याज राशि में छूट प्रदान की जाए।
ऑर्बिटेशन क्लॉज के साथ मूल्य वृद्धि की शर्तें तथा समय वृद्धि की शर्त वर्तमान में चल रहे सभी शासकीय व व्यक्तिगत निर्माण कार्य अनुबंधों में सम्मलित की जाए तथा परियोजना में ऑर्बिटेशन के माध्यम से निस्तारित किए जा चुके विवादों का लंबित भुगतान तुरंत किया जाना चाहिए।
सभी को आवास उपलब्ध कराने व खरीददारी क्रय क्षमता में वृद्धि करने के उद्देश्य से आवासीय ऋण की अधिकतम ब्याज दर 5% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
सन्निर्माण क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराने में कृषि क्षेत्र के अनुरूप ही व्यवहार किया जाना अपेक्षित है तथा तदानुसार ही विनियमन किया जाना भी वाछित है।
भवन निर्माण उद्योग व सन्निर्माण क्षेत्र दोनों के लिए जीएसटी 5% पर विचार करना चाहिए।
सरकार द्वारा FIDIC के अनुरूप एक न्यायसंगत स्टैंडर्ड कांट्रैक्ट डॉक्यूमेंट का निर्धारण किया जाना अपेक्षित है, जिसको सभी शासकीय कार्यदाई संस्थाओं व प्राधिकरणों के साथ साथ प्राइवेट संस्थानों द्वारा भी अपनाया जाना व लागू किया जाना अपरिहार्य हो।
सरकार द्वारा प्रत्येक विभाग में अनिवार्य रूप से एक पारदर्शी ई टैंडर प्रणाली लागू की जानी चाहिए तथा प्रत्येक कार्य प्राधिकरण को यह स्पष्ट आदेश दिए जाएं कि पूर्व निर्धारित बजट आवंटन में बिना कोई निविदा आमंत्रण अथवा कार्यादेश जारी नहीं किया जाएगा।


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Yaspal

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