ब्रिटेन में खालिस्तानी चरमपंथियों की टूटी कमर, आह्वान पर भी विरोध प्रदर्शन करने नहीं पहुंचे सिख समुदाय के लोग

punjabkesari.in Monday, May 01, 2023 - 03:15 PM (IST)

जालंधर: भारत के प्रयासों से विदेशों में खालिस्तानी एजेंडे को हवा देने वालों की अब कमर टूटती नजर आ रही है। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में सामने आया है, जब बीते 29 अप्रैल को ब्रिटेन (यू.के.) में मुट्ठी भर चरमपंथियों ने सोशल मीडिया पर भारतीय उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन का आह्वान तो किया लेकिन एक भी चरमपंथी वहां नहीं पहुंचा। यू.के. पुलिस के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि विरोध के बारे में वे पहले से ही पूरी तरह से सतर्क थे और पुलिस की टीमें लगातार पैट्रोलिंग कर रही थी। हालांकि कोई भी खालिस्तानी प्रदर्शनकारी भारतीय उच्चायोग के बाहर नहीं पहुंचा।    

 

पूर्व प्रधानमंत्री जॉनसन ने की है कार्रवाई की मांग

माना जा रहा है कि हाल ही में ब्रिटेन के पूर्व प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा कमीशन की गई एक स्वतंत्र रिपोर्ट 'द ब्लूम रिव्यू'  का ब्रिटेन में असर दिखाई देने लगा है। इस रिपोर्ट में आरोप लगाए गए हैं कि गैर खालिस्तानी सिखें को कुछ खालिस्तानी चरमपंथी जबरन अपने आंदोलन में शामिल करना चाहते हैं। इसमें कहा गया है कि चरमपंथियों ने ब्रिटेन के गुरुद्वारों का संचालन अपने हाथों में ले रखा है और धर्म के नाम पर पैसों की उगाही की जा रही है, जिससे खालिस्तानी आंदोलन को उग्र बनाया जा सके।

 

इस रिपोर्ट के माध्यम से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से त्वरित कार्रवाई करने की भी मांग की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कि खालिस्तान आदर्शों का प्रचार स्वयं विध्वंसक नहीं है, बल्कि कुछ खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं की विध्वंसक, आक्रामक और सांप्रदायिक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। इस बात का भी जिक्र रिपोर्ट में है कि सिख युवाओं का विभाजित कर नफरत फैलाने के लिए उनका ब्रेनवाश किया जा रहा है।

 

उच्चायोग पर हमले की भारत ने की थी निंदा

गौरतलब है मार्च माह में "वारिस पंजाब दे" के मुखिया और खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह के समर्थन में लंदन में भारतीय उच्चायोग में खालिस्तानी समर्थकों ने तोड़फोड़ की थी। जिस पर लंदन में उच्चायोग में प्रदर्शनकारियों द्वारा भारतीय झंडा उतारने की घटना के संबंध में सरकार ने दिल्ली में ब्रिटेन के राजनयिकों को तलब किया था। ब्रिटिश सुरक्षा की पूर्ण अनुपस्थिति के लिए एक स्पष्टीकरण की मांग की गई थी जिसने इन तत्वों को उच्चायोग परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। 

 

केंद्र सरकार ने कहा था कि ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक परिसरों और कर्मियों की सुरक्षा के प्रति यू.के. सरकार की उदासीनता को भारत अस्वीकार्य मानता है। यूके सरकार से तत्काल कदम उठाने की की मांग करते हुए, विदेश मंत्रालय  ने कहा था कि यह उम्मीद की जाती है कि यू.के. सरकार घटना में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की पहचान करने, गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने के लिए तत्काल कदम उठाएगी और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कड़े उपाय किए जाएंगे।


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Content Writer

Seema Sharma

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