ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में PM मोदी बोले- आतंकवाद दुनिया की सबसे बड़ी समस्या
punjabkesari.in Tuesday, Nov 17, 2020 - 06:10 PM (IST)
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को 12वें ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान का नाम लिए बिना बड़ा हमला किया। उन्होंने कहा कि आंतकवाद दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है। प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों के शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और आईएमएफ तथा डब्ल्यूटीओ जैसे संगठनों में सुधार की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद आज विश्व के सामने सबसे बड़ी समस्या है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादियों को समर्थन और सहायता देने वाले देशों को भी दोषी ठहराया जाए और इस समस्या का संगठित तरीके से मुकाबला किया जाए।''
मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान ने ‘आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत एक व्यापक सुधार प्रक्रिया शुरू की है और यह अभियान इस विश्वास पर आधारित है कि एक ‘‘आत्मनिर्भर और लचीला'' भारत कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए ‘‘फोर्स मल्टीप्लायर'' हो सकता है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक मजबूत योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसका उदहारण हमने कोरोना महामारी के दौरान भी देखा, जब भारतीय फार्मा उद्योग की क्षमता के कारण हम 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाइयां भेज पाए। हमारी वैक्सीन उत्पादन और डिलीवरी क्षमता भी इस तरह मानवता के हित में काम आएगी।'' मोदी ने कहा कि 2021 में ब्रिक्स के 15 वर्ष पूरे हो जाएंगे और जब भारत इसकी अध्यक्षता करेगा तब ब्रिक्स के तीनों स्तंभों में इंट्रा-ब्रिक्स सहयोग को मजबूत करने का प्रयत्न किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, ''इसका उदहारण हमने COVID के दौरान भी देखा, जब भारतीय फार्मा उद्योग की क्षमता के कारण हम 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाइयां भेज पाए। हमारी वैक्सीन उत्पादन और डिलीवरी क्षमता भी इस तरह मानवता के हित में काम आएगी।आपको बतां दे कि ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन वर्चुअल के जरिए हो रहा है। इससे पहले साल 2019 में 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पीएम ब्राजील गए थे। इस बार कोरोना महामारी के लिए यह सम्मेलन वर्चुअली हो रहा है। इस बार ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद, व्यापार, स्वास्थ्य, ऊर्जा के साथ ही कोरोना के कारण हुए नुकसान की भरपाई के उपायों जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
क्या है BRICS
ब्रिक्स पांच देशों का एक समूह है और इसका गठन साल 2009 में किया गया था। इस समूह में ( ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देश शामिल हैं। इस समूह पर सबसे पहले चर्चा 2001 में गोल्डमैन सैश के अर्थशास्त्री जिम ओ नील द्वारा ब्राजील, रूस, भारत और चीन की
अर्थव्यवस्थाओं के लिए विकास की संभावनाओं पर एक रिपोर्ट में की गई थी। लेकिन पहला ब्रिक (BRIC) सम्मेलन 2009 में रूस के येकतेरिनबर्ग में हुआ था। इस समूह को ब्राजील, रूस, भारत और चीन देशों द्वारा मिलकर बनाया था। इसके बाद दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को ब्रिक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया। जिसके बाद इस समूह का नाम ब्रिक से ब्रिक्स (BRICS) हुआ।
ब्रिक्स का उद्देश्य
- ब्रिक्स सबसे बड़ा मकसद है, विकासशील देशों के लिए एक विशेष व्यापार ब्लॉक बनाना है क्योंकि व्यापार के क्षेत्र में विकासशील देशों पर विकसित देश का काफी दबदबा है और इसी दबदबे को खत्म करने के लिए ब्रिक्स देशों द्वारा व्यापार ब्लॉक बनाने का लक्ष्य बनाया गया है।
- ब्रिक्स समूह विकसित और विकासशील देशों के बीच एक पुल के रूप में भी कार्य करता है और साथ में ही विकासशील देशों को विकसित करने में उनकी मदद भी कर रहा है।
- ब्रिक्स विभिन्न वित्तीय उद्देश्यों के साथ एक नए और आशाजनक राजनीतिक-राजनयिक इकाई के रूप में उभरे।
BRICS से जुड़ी खास बातें
- साल 2014 में ब्रिक्स ने दो वित्तीय बैंक बनाए गए थे और इनके नाम न्यू डेवलपमेंट बैंक या नव विकास बैंक और आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था रखा गया है।
- ब्रिक्स के अंदर शामिल सभी पांच देश चार महाद्वीपों से आते हैं, जिनमें से भारत और चीन एशिया महाद्वीपों के देश हैं, ब्राजील अमेरिका महाद्वीपों से आता है, रूस यूरोप महादूवीप का देश है और दक्षिण अफ्रीका अफ्रीका महाद्वीप का देश है।
- इस समूह में शामिल देश दुनिया की भूमि की सतह का लगभग 27% क्षेत्र घेरते हैं और इन चारों देशों की औसत जनसंख्या 627,060,914 है।
- इस समूह के सभी देशों की दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिश्त हिस्सेदारी है। वहीं विश्व व्यापार में इन देशों की 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
भारत ने की मेजबानी
भारत साल 2012 और साल 2016 में दो बार इस समिट की मेजबानी कर चुका है। वहीं साल 2021 में भी भारत इसकी मेजबानी करने वाला है। बता दें कि भविष्य में अफगानिस्तान, सूडान, सीरिया, बांग्लादेश, ग्रीस, ईरान और नाइजीरिया समेत 13 देश इसमें शामिल हो सकते हैं।
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