पत्नी के एड्स पीड़ित होने का दावा कर मांगा तलाक, बंबई हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

punjabkesari.in Thursday, Nov 24, 2022 - 10:36 PM (IST)

नेशनल डेस्कः बंबई हाईकोर्ट ने पुणे के 44-वर्षीय एक व्यक्ति को तलाक देने से इनकार कर दिया, जिसने अपनी पत्नी के एचआईवी संक्रमित होने का झूठा दावा किया था और कहा था कि इसकी वजह से वह मानसिक पीड़ा झेल रहा है। जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने 16 नवंबर के अपने आदेश में 2011 में उस व्यक्ति द्वारा दायर अपील खारिज कर दी, जिसमें पुणे की एक परिवार अदालत द्वारा उसी वर्ष तलाक की उसकी याचिका खारिज किये जाने को चुनौती दी गई थी।

अदालत ने कहा कि व्यक्ति ने इस बात का कोई सबूत पेश नहीं किया है कि उसकी पत्नी एचआईवी संक्रमित है और इससे उस व्यक्ति को मानसिक पीड़ा हुई। इसने आगे कहा कि टूटे हुए रिश्ते अब वापस न आने के आधार पर तलाक का अनुरोध खारिज किये जाने योग्य है। दोनों की शादी मार्च 2003 में हुई थी और पुरुष ने दावा किया था कि उसकी पत्नी सनकी, जिद्दी, गुस्सैल स्वभाव की है और उसके या उसके परिवार के सदस्यों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं करती थी।

व्यक्ति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी तपेदिक से भी पीड़ित थी और बाद में वह हर्पीज से भी पीड़ित हो गई थी। उसकी याचिका के अनुसार, बाद में 2005 में जांच में पता चला कि उसकी पत्नी एचआईवी संक्रमित भी थी। तदनुसार, उस व्यक्ति ने तलाक की अर्जी दायर की थी। हालांकि पत्नी ने पति के दावों का खंडन किया और कहा कि वह एचआईवी संक्रमित कतई नहीं है, लेकिन फिर भी उसके पति ने उसके परिवार के सदस्यों के बीच इस बारे में अफवाह फैलाई, जिससे उसे मानसिक पीड़ा हुई।

हाईकोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पति अपनी पत्नी की एचआईवी संक्रमित होने की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने में विफल रहा। हाईकोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता पति द्वारा पेश किए गए साक्ष्य का कोई सबूत नहीं है कि प्रतिवादी पत्नी एचआईवी संक्रमित थी, जिससे उसे मानसिक पीड़ा हुई या पत्नी ने उसके साथ क्रूरता का व्यवहार किया।"

अदालत ने आगे कहा, ‘‘याचिकाकर्ता पुरुष ने प्रतिवादी पत्नी के साथ रहने से इनकार कर दिया है और प्रतिवादी को रिश्तेदारों और दोस्तों को सूचित करके समाज में बदनाम किया है कि प्रतिवादी एचआईवी संक्रमित पाई गयी है।" पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इसलिए, रिश्तों में सुधार के आसार न होने के आधार पर तलाक देने के लिए पति की याचिका मुकम्मल तौर पर खारिज की जाती है।


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Content Writer

Yaspal

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