मलबे में मिली मां और जुड़वां बच्चों की लाशें, सीने से चिपके थे मासूम... हर आंख नम

punjabkesari.in Sunday, Sep 21, 2025 - 06:34 AM (IST)

नेशनल डेस्कः उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने कई परिवारों की जिंदगी तबाह कर दी। लेकिन इस त्रासदी की सबसे मार्मिक तस्वीर तब सामने आई जब मलबे के नीचे से एक मां और उसके दो जुड़वां बच्चों के शव मिले — दोनों मासूम अपनी मां की छाती से लिपटे हुए थे। यह दृश्य देख मौके पर मौजूद हर व्यक्ति की रूह कांप गई और आंखें भर आईं।

बादल फटने से तबाही, उजड़े घर, बिछड़े परिवार

17 सितंबर की रात नंदानगर में तेज बारिश और बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया। इस आपदा में कई मकान जमींदोज हो गए, सड़कों का संपर्क टूट गया और कई लोग मलबे में दब गए। कुंतरी गांव इस तबाही का सबसे बड़ा शिकार बना, जहां 8 लोग लापता हो गए।

NDRF, SDRF और जिला प्रशासन ने तुरंत युद्धस्तर पर राहत और बचाव अभियान शुरू किया। मलबे की गहराई और इलाके की कठिन भूगोल ने रेस्क्यू ऑपरेशन को और मुश्किल बना दिया, लेकिन टीमों ने हार नहीं मानी।

16 घंटे बाद जिंदा निकाले गए कुंवर सिंह, लेकिन...

18 सितंबर को राहत टीम को एक बड़ी सफलता तब मिली जब कुंवर सिंह को मलबे से जीवित बाहर निकाल लिया गया। लगभग 16 घंटे तक वह मलबे के नीचे दबे रहे। यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। लेकिन इस राहत के साथ एक दिल दहला देने वाला मंजर भी उनके इंतजार में था।

19 सितंबर को रेस्क्यू टीम ने मलबे से 38 वर्षीय कांता देवी और उनके दो जुड़वां बेटों — विशाल और विकास (उम्र: 10 साल) के शव बरामद किए। तीनों एक ही स्थान पर मृत मिले, जहां मां ने अपने दोनों बेटों को सीने से चिपका रखा था। यह दृश्य इतना भावुक और मार्मिक था कि रेस्क्यू टीम के सदस्य भी फफक कर रो पड़े।

मां की आखिरी कोशिश: बच्चों को सीने से लगाकर बचाने का प्रयास

SDRF और NDRF के मुताबिक, जिस अवस्था में तीनों शव मिले, उससे साफ था कि कांता देवी ने अंत समय तक अपने बच्चों की जान बचाने की कोशिश की। वह उन्हें अपने सीने से लगाए रहीं, शायद इस उम्मीद में कि उन्हें कुछ नहीं होगा।

रेस्क्यू कर्मियों ने बताया कि यह दृश्य उनकी अब तक की सेवा में सबसे भावुक और झकझोर देने वाला था।

एक साथ उजड़ गया पूरा परिवार

कांता देवी के पति कुंवर सिंह, जो खुद भी मलबे से किसी तरह जिंदा बाहर निकाले गए, अब पूरी तरह टूट चुके हैं। उनकी आंखों के सामने उनका पूरा परिवार खत्म हो गया। 10 वर्षीय विशाल और विकास, सरस्वती शिशु मंदिर, नंदानगर में 5वीं कक्षा के छात्र थे और गांव में अपनी पढ़ाई और व्यवहार को लेकर बेहद प्यारे माने जाते थे।

गांव में शोक की लहर, सरकार से मदद की गुहार

इस हादसे के बाद पूरे नंदानगर और चमोली जिले में गहरा शोक है। गांव के लोग कांता देवी और उनके बच्चों को श्रद्धांजलि देने उमड़ पड़े। स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को राहत सहायता देने की बात कही है, लेकिन ग्रामीणों ने स्थायी पुनर्वास और आपदा प्रबंधन में सुधार की मांग की है।


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Content Writer

Pardeep

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