BMC चुनाव: तो क्या इन नतीजों ने राज ठाकरे के राजनीतिक करियर पर लगा दी ब्रेक?

punjabkesari.in Friday, Feb 24, 2017 - 11:39 AM (IST)

मुंबईः मुंबई में बृहन्मुम्बई महानगर पालिका (बी.एम.सी.) चुनावों में भाजपा की कड़ी टक्कर के बावजूद शिवसेना सबसे बड़े दल के तौर पर उभर कर सामने आई है। बी.एम.सी. की 227 सीटों के नतीजों में शिवसेना ने 84 सीटों पर कब्जा जमाया तो भाजपा के खाते में 82 सीटें आईं। बी.एम.सी. चुनावों में कांग्रेस को नंबर 3 की स्थिति पर संतोष करना पड़ा, पार्टी के खाते में 31 सीटें आईं। जबकि मनसे इस बार 7 सीटों पर ही सिमट गई।

यह चुनाव मनसे के लिए अपने डूबते हुए राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की लड़ाई थी लेकिन पार्टी ऐसा न कर सकी। नतीजों से यही सामने आया है कि मुंबई के दिल में राज नहीं है। बीएमसी में मिली करारी हार के बाद यह चर्चा गर्म है कि राज ठाकरे का राजनीतिक अस्तित्व खतरे में है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछले कई चुनावों से पार्टी को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी यह राजनीति है और इसमें कब क्या हो जाए कहना असंभव है इसलिए यह कहना गलत होगा कि राज ठाकरे कभी वापिसी नहीं कर पाएंगे।

तो क्या 'मराठी मानुष’ का राग नहीं आया काम
साल 2006 में शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने अपनी पार्टी मनसे बनाई थी। राज ने अपनी पार्टी का मुख्य एजेंडा 'मुंबई, मराठियों के लिए’ को बनाया। पार्टी के कार्यकर्त्ताओं ने समूचे मुंबई में उत्तर भारत खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश से रोजी-रोटी कमाने आए लोगों को निशाना बनाया था लेकिन पार्टी का यह दाव भी काम नहीं आया। 2009 के विधनासभा चुनाव में 288 में से 13 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली मनसे 2014 के चुनाव में 1 सीट पर सिमट गई और 203 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनावों के बाद राज ठाकरे को मंथन करना पड़ेगा कि उनकी पार्टी कहां पर चूक गई या मुंबईवासी अब क्या चाहते हैं, उनका नया मुद्दा या समस्याएं क्या हैं।


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