कार्पोरेट बाबा और सियासत: चुनावी अखाड़े से गुम रामदेव

punjabkesari.in Thursday, Apr 11, 2019 - 10:36 AM (IST)

इलैक्शन डैस्क(सूरज ठाकुर): कभी तन-मन और धन से भाजपा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले योग गुरु बाबा रामदेव सर्वदलीय और निर्दलीय उसी तरह हो गए हैं जिस तरह देश के बड़े-बड़े कार्पोरेट घराने। काला धन, भ्रष्टाचार और व्यवस्था में परिवर्तन की लड़ाई के लिए रामदेव ने भाजपा को वर्ष 2009 में 11 लाख रुपए की डोनेशन चैक के रूप में दी थी। भाजपा के साथ भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ चुके बाबा अब किसी भी पार्टी के साथ नहीं होने का दम्भ भरने लगे हैं। भाजपा भले ही यह दावा कर रही हो कि रामदेव का उसे समर्थन है लेकिन एक सार्वजनिक मंच पर बाबा भाजपा का चुनाव प्रचार करने से इंकार कर चुके हैं।      

PunjabKesari

महिलाओं के कपड़े पहन भागे थे
4 जून की ही आधी रात के बाद रामलीला मैदान में पुलिस ने कार्रवाई की और रामदेव को महिलाओं के कपड़े पहनकर वहां से भागना पड़ा था। दिल्ली पुलिस का कहना था कि बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान में 5000 लोगों के साथ योग शिविर की अनुमति ली थी जबकि वह 50,000 लोगों को इक_ा करके आंदोलन करने लगे थे। यह नियमों का उल्लंघन था इसलिए उन्हें वहां से हटा दिया गया था। पुलिस ने बाबा रामदेव को दिल्ली से निकालकर हरिद्वार में स्थित उनके आश्रम पहुंचा दिया था जहां उन्होंने अपना आमरण अनशन तोड़ लिया था।

PunjabKesari

15 अरब डॉलर के कारोबार का लक्ष्य
दवाओं, खाद्य पदार्थों से लेकर कपड़ों का करोड़ों का कारोबार स्थापित करने के बाद बाबा को अब किसी भी राजनीतिक दल की उतनी ही आवश्यकता है जितनी की एक कार्पोरेट को होती है। न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक बाबा रामदेव का कहना है कि 2025 तक उनका लक्ष्य अपने समूह के उत्पादों की बिक्री को 15 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है। यह मौजूदा वित्तीय साल में 1.6 अरब डॉलर तक है। इस वक्त देश के विभिन्न हिस्सों में बाबा का कारोबार हजारों एकड़ जमीन पर फैला हुआ है।

PunjabKesari

2010 में बनाई भारत स्वाभिमान पार्टी
वर्ष 2009 से ही बाबा रामदेव की भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ नजदीकियां बढ़ गई थीं क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर एक तरह से तत्कालीन कांग्रेस की यू.पी.ए. सरकार के खिलाफ  मोर्चा खोल रखा था। दरअसल बाबा सक्रिय राजनीति में उतरना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने 2010 में भारत स्वाभिमान के नाम से एक राजनीतिक पार्टी का गठन कर लिया था। पार्टी के गठन के बाद बाबा ने 2014 के आम चुनाव में हर सीट पर उम्मीदवार उतारने का भी ऐलान कर दिया था जिसका सबसे ज्यादा प्रतिकूल असर भाजपा की राजनीति पर दिखने लगा था। बाद में उन्होंने अपना इरादा बदलकर भाजपा को समर्थन दिया था। 

2014 में मोदी का किया था प्रचार
रामदेव ने भाजपा के समर्थन में मनमोहन की यू.पी.ए. सरकार के खिलाफ  एक सूत्रीय अभियान छेड़ा था। नरेंद्र मोदी के भावी प्रधानमंत्री घोषित होते ही 2014 के चुनाव से पहले उन्होंने अपने समर्थकों को संदेश दिया कि नरेंद्र मोदी में 3 ऐसी बातें हैं जिनके चलते मैं उनका समर्थन कर रहा हूं। मोदी देश में स्थायी और मजबूत सरकार दे सकते हैं। उन्होंने चैनल के माध्यम से कहा था कि मोदी एक ऐसे शख्स हैं जो काले धन, भ्रष्टाचार और व्यवस्था परिवर्तन के मुद्दों पर सहमत हैं। इसके अलावा जितने भी सर्वे हुए हैं उनमें वह सबसे आगे चल रहे हैं। मैंने लाखों किलोमीटर की यात्रा की है। लोगों का समर्थन उनको मिल रहा है।

बाबा रामदेव के आगे झुकी थी सरकार
जून, 2011 में अन्ना हजारे आंदोलन चरम पर था। बाबा भी इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे। 3 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में अपना आमरण अनशन करने के लिए बाबा रामदेव दिल्ली पहुंचे थे। उनसे मिलने के लिए उस दौरान सरकार के तत्कालीन वरिष्ठ मंत्री प्रणव मुखर्जी सहित 4 केंद्रीय मंत्री उनसे बात करने के लिए आए। सरकार ने उनकी काफी मांगें मान ली थीं लेकिन रामदेव अपनी सभी मांगों को मनवाने के लिए जिद करते रहे। जब 4 जून, 2011 को उन्होंने अपना रामलीला मैदान में आमरण अनशन शुरू किया तो देशभर से उनके हजारों समर्थक वहां जमा हो गए। 

अमित शाह ने किया था रामदेव के समर्थन का दावा
रामदेव ने एक निजी टी.टी. चैनल के कॉन्क्लेव में स्पष्ट किया था कि वह अब सर्वदलीय और निर्दलीय हैं। उन्होंने कहा था कि 2019 के चुनाव में वह भाजपा का प्रचार नहीं करेंगे। 4 जून, 2018 को वह भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह से संपर्क फॉर समर्थन अभियान में मिले थे। इस मुलाकात के बाद अमित शाह ने बयान दिया था कि बाबा रामदेव से मुलाकात का मतलब हम लाखों लोगों से मिल रहे हैं। उन्होंने अगले चुनाव के दौरान पूरा समर्थन देने का वायदा किया है। रामदेव अब काले धन और भ्रष्टाचार के बारे में भी मीडिया से बात नहीं करना चाहते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि मोदी सरकार इस मसले में कुछ भी नहीं कर पाई। 

                       


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anil dev

Recommended News

Related News